सोमवार, दिसंबर 17, 2012

चांदनी रात मिलती रहे |


जीवन की आपाधापी  के ,
उठते  हुए    बादल     से,  
अहसास  की   धरा    पर,
उम्मीद की फ़सल खिलती रहे |

घुमड़ते   हुए  ख्याल  ,
कुछ उलझे से  सवाल,
कभी बूंद बनकर बरसे ,
कभी ज्योति सी  जलती  रहे  |

जुगनुओं सी भटकाव में,
कुछ धूप  में कुछ छाँव में ,
असंख्य   अनुभूतियाँ
जीवन  में मिलती रहे |


अश्रुपूरित नयन  लिए ,
कभी उल्लसित तरंग लिए
एक सम्पूर्ण गगन लिए,
विह्वल ,आकुल चातक से
चांदनी रात  मिलती रहे |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

6 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,रजनी जी बधाई

recent post: वजूद,

sangita ने कहा…

जीवन के हर रंग से सराबोर सुन्दर रचना ,बधाई।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aabhar.........Dhirendra ji.
prdeep ji.....

Sangeeta ji.........

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन


सादर

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना....

tbsingh ने कहा…

bahut sunder rachana.