रविवार, फ़रवरी 28, 2010

रंगों की पर्व होली की शुभकामनायें

आप सभी को मेरी ओर से रंगों की पर्व होली की शुभकामनायें , जीवन में ऐसे ही हर रंग भरे रहें.........महकता फलता फूलता हो परिवार ...........
"रजनी"

बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

मम्मी की ओर से ये तोहफा नैनसी के दसवें जन्मदिन पर

मेरी मासूम सी ज़िनदगी का नाम नैनसी है,आज उसके दसवें जन्मदिन पर मम्मी की ओर से ये तोहफा ,आपसब उसे अपना आशीर्वाद उसके सुनहरे भविष्य के हेतु प्रदान करें....
नैनसी, हाँ बिल्कुल निर्मल
चमकती हुई आभा है,
मेरी नैनसी .
बिल्कुल नैन के जैसी,
जिसमे दिल का आईना,
साफ़ झलकता है.
मासूम सी चंचल,
संजीदगी से भरी,
जिसने चंद साल पहले,
इस दुनिया में अपनी आँखें खोली,
आज दस साल की हो ली.
जीवन में आफ़ताब सा ,
तेरी चमक बनी रहे.

मंगलवार, फ़रवरी 23, 2010

तू बता कौन है ?


तू बता कौन है ?
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
यह  काले लट तेरे गेसू नहीं,
छाई  घटा घनघोर हैं,
चूपके-चूपके, निहारे तुझे,
मन मेरा जैसे कोई चोर हो,
नैन तेरे ऐसे जैसे प्याले हों शराब  के,
डूबकर जो देखे इसमें,  रह जाये वोह दिल  थाम के,
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
अधर तेरे प्यारे हैं , जैसे कली गुलाब की,
और क्या- क्या मिसाल दूँ तेरे  सबाब की,
तू जूही की कली,चंचल तितली,
बातें  तेरी जैसे  मिसरी की डली,
हर अदा तेरी लगती है मुझे,
मौसम की अंगड़ाई  ,
ये  कजरारे नैन तेरे,
जाम मुहब्बत  के छलकाएं,
अब तो मेरी प्रबल इच्छा ,
डूबकर इसमें मर जाएँ,
तुम कस्तूरी सी सुगंधा हो,
तुम यामिनी,दामिनी,वृंदा हो,
कनक सा तपता रूप तेरा,
काया लगे  खिला- खिला   धूप तेरा,
ऐ मनमोहिनी चंद्रमुखी ,चंद्रचकोरी,
तू बता कौन है?
चंचल से हैं चितवन तेरे,
फिर भी क्यों लगती मौन है ?
तुझे देखने  को मन मेरा, चकोर सा
तुझे पा लूँ तो,
मन नाचे मोर सा,
पर मन के अंदर तो छाये हैं
अनगिनत प्रश्न घटा घनघोर सा,
तू बस मेरी एक कोरी कल्पना है,
यथार्थ तो नज़र आता ही नहीं,
बस मेरे लिए तो तू सपना है,
ख्याल मन से तेरा जाता ही नहीं,
रोज़ ही मेरे ख्यालों में तुम आती हो,
कभी कंगन अपने हाथों के ,
तो कभी पाज़ेब  बजाती हो,
जब ढूंढे मन मृग मेरा तुझे,
झट ओझल हो जाती हो,
पर हैरान कर इस तरह मुझे,
न  जाने तुम क्या पाती हो,
ए मनमोहिनी,चंद्रमुखी, चंद्रचकोरी ,
तू बता कौन है ?

"रजनी"

बुधवार, फ़रवरी 17, 2010

तेरी प्रीत (राजेश की रजनी)

ये नज़्म मेरी ओर से मेरे जीवन साथी राजेश  को, हमारे विवाह के ग्यारहवें वर्षगाँठ पर क्योंकि आज १८ फ़रवरी के दिन ही हमदोनो परिणय  सूत्र में बंधे थे, और तबसे आज तक जीवन का सफ़र उनके साथ प्रेम,मीठी तकरार,आपसी समझ विश्वास के गुजरते रहे.आपसब के आशीर्वाद हेतु इस रचना को आपसब के समक्ष रख रही,हमारा वैवाहिक जीवन सदा खुशियों और सौभाग्य के साथ रहे,ऐसी कामना करती हूँ,मै उनके जीवन में सदा बहार बन कर रहूँ,गुलाब में जैसे उसकी महक,वैसे ही उनकी पनाहों में मेरा जीवन गुजर जाये......

तेरी प्रीत (राजेश की रजनी)
मै रात की रानी हूँ राजेश तेरी दीवानी हूँ|
मै रात  की रानी हूँ,तेरी प्रीत की दीवानी हूँ,
भर जाये जो आँखों में,मै वो शुर्मई पानी हूँ,
वो अगन वो पानी हूँ,अंगार में डूबी कहानी हूँ,
तू राजाओं का राजा है,तो मै रातों की रानी हूँ,
जो कभी ख़त्म ना हो,मै वो अनमिट कहानी हूँ,
न बुझे वो प्यास है प्रीत,हम दोनों को जो बांधे है रीत,
इक डोर में हम जो बांधे कभी,वो डोर कभी न टूटेगी,
सात ज़न्मों की ये डोरी है,ये बंधन कभी न छुटेगी,
माँगा खुदा से हमने साथ मेरे सजन का,
जिस बंधन में बांधा उसने,वो बंधन हो हर एक जन्म का,
जिस प्रीत ने हमें जोड़ दिया,उसे जीवनभर निभाने को,
प्रेम हमारा अमर रहे,बेचैन रहे हम पाने को,
बांधे रखे जिसे प्रेम से,एक ऐसी डोरी हो,
नज़र न लगे कभी किसी की,
राजेश रजनी की जोड़ी को.
मै रात की रानी हूँ राजेश तेरी दीवानी हूँ|

मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

मेरे पास अब देने को , प्यार कहाँ साकी है,

एक बार जला है दिल ,
अब जलने को क्या बाकि है,
मेरे पास अब देने को ,
प्यार कहाँ साकी है,
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जिस दिन हम तुम्हें भूल जायेंगे,
समझ लेना भरोसा उठ गया प्यार से,
टूटेगा उस दिन नाता याद करने का,
जब चले जायेंगे हम संसार से.


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हजारों थे चाहनेवाले जिनके,
वो किसी और के दीवाने हो गए,
क्यूँ ना हो किस्मत पे गुरुर उनको ,
जो जलते थे वो जलानेवाले हो गए.

क्या किस्मत पाई है, किनारों ने.

लहरों की थपेड़ों को
साथ-साथ सहते हैं दोनों,
आमने सामने होकर भी
मिल नहीं पाते
क्या क़िस्मत पाई है
किनारों ने |

दर्द उठे जिगर में
भर जाती  हैं दोनों
मगर फिर भी 
मिल नहीं पाती
क्या क़िस्मत  पाई है
निगाहों ने |

भरे हैं नभ में
असंख्य विस्तार से
नज़दीक  हो कर भी
मिल नहीं पाते,
क्या क़िस्मत  पाई है,
सितारों ने |

शनिवार, फ़रवरी 13, 2010

और जो बिखर जाए , उसका कोई वजूद नहीं होता

ये पंक्तियाँ मनुष्य जीवन में काफी मायने रखती है, मैंने इसे अनुभव पर ही लिखा है,आशा है आपसब को पसंद आये.....
टूटा हुआ इंसान ,
टुकड़ों में जीता तो है,
पर टुकड़ों की तरह,
उसे टूटने के बाद जोड़ा जाए,
तो वो जी उठता है,
अगर जोड़ने के बाद फिर तोड़ दो,
तो वो जीता नहीं,
चूर हो जाता है,
इसीलिए ,
कभी भी,
किसी टुकड़े में जी रहे इंसान को,
मत जोड़ना,
अगर जोड़ने की जरूरत भी की ,
तो उसे फिर चूर मत होने देना,
क्योंकि,
चूर का मतलब ही होता है
पूरी तरह से बिखरा हुआ,
और जो बिखर जाए ,
उसका कोई वजूद नहीं होता|

शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2010

तुमसे टूटना मेरी क़िस्मत है

 तुझे  जितनी  मुझसे  नफरत  है,
 तेरी  उतनी  ही मुझे ज़रूरत   है.

 तेरे   मद   भरे    यह   दो    नैन ,
 क्या बताऊँ  कितनी  खुबसूरत हैं.

परवाने     की   फ़िक्र     मत   कर ,
आग  में जलना  इसकी फितरत है.

 जब    आँखों   में  पर्दा   पड़ा   हो  ,
ख़ूबसूरती  भी लगता  बदसूरत  हैं.

जो  ख़्वाब    बुनते   हैं    लगन  से,
वो टूट कर   भी रहता  खुबसूरत है .

जानती  हूँ कोई    तोड़  नहीं पायेगा,
फिर भी तुमसे टूटना मेरी क़िस्मत  है.

बंध  कर   और   नहीं  रहा जायेगा,
अब  टूट कर   बिखरने की चाहत है.

 तुझे   जितनी     मुझसे   नफरत है,
 तेरी    उतनी    ही  मुझे  ज़रूरत  है|

सोमवार, फ़रवरी 08, 2010

ये माँ तू कैसी है ?

हम उम्र के किसी भी पड़ाव में हों,हमें कदम,कदम पर कुछ शरीरिक मानसिक कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है,वैसे क्षण में यदि कुछ बहुत ज्यादा याद आता है तो वो है..... माँ का आँचल,म की स्नेहल गोद,माँ के प्रेम भरे बोल. माँ क्या है?तपती रेगिस्तान में पानी की फुहार जैसी,थके राही के तेज़ धूप में छायादार वृक्ष के जैसे. कहा भी जाता है----- मा ठंडियाँ छांवां ----- माँ ठंडी छाया के सामान है.जिनके सर पर माँ का साया हो वो तो बहुत किस्मत के धनी होते है, जिनके सर पे ये साया नहीं उनसा बदनसीब कोई नहीं... पर, कुछ बच्चे अपने पैरों पर खड़े होकर माता पिता से आँखें चुराने लगते हैं unhe सेवा, उनकी देखभाल उन्हें बोझ लगने लगती है..जबकि उन्हें अपना कर्तव्य पूरी निष्ठां से करने चाहिए.

मैंने माँ का वर्णन कुछ इस तरह किया है..

ए माँ तू कैसी है ?

सागर में मोती जैसी है.नैनो में ज्योति जैसी है.
नैनो से ज्योति खो जाये,जीवन अँधियारा हो जाये,
वैसे ही तेरे खोने से,जीवन अँधियारा हो जाये.

क्यों ममता में तेरे गहराई है ?
किस मिटटी की रचना पाई है ?
बच्चे तेरे जैसे भी ,सबको गले लगायी है.

ए माँ तू कैसी है ?दीये की बाती जैसी है.
जलकर दीये सा खुद,तम हमारा हर लेती है.

बाती न हो दीये में तो,अन्धकार कौन हर पाए ?
वैसे ही तेरे खोने से, जीवन अँधियारा हो जाये.

ए माँ तू कैसी है ? कुम्हार के चाक जैसी है,
गीली मिटटी तेरे बच्चे,संस्कार उन्हें भर देती है.

ए चाक यदि ना मिल पाए,संस्कार कौन भर पायेगा ?
कौन अपनी कलाओं से ये भांडे को गढ़ पायेगा ?
जीवन कली तेरे होने से ही,सुगन्धित पुष्प बन पायेगा.

ये माँ तू कैसी है ?प्रभु की पावन स्तुति है.
पीर भरे क्षणों में, सच्ची सुख की अनुभूति है.

कोई ढाल यदि खो जाये,खंज़र का वार ना सह पायें.
वैसे ही तेरे खोने से जीवन अँधियारा हो जाये.

ये माँ तू कैसी है ? सहनशील धरा जैसी है.अपकार धरा सहती है,
फिर भी उफ़ ना कहती है.ये धरा यदि खो जाये,जीवन अँधियारा हो जाये.

ये माँ तू कैसी है ?

सबसे पावन,सबसे निर्मल ,तू गंगा के जैसी है.
ममता से भरी मूरत है,तुझमे bhagvan की सूरत है.

जो झुका इन चरणों में,स्वर्ग सा सुख पाया है |

सोमवार, फ़रवरी 01, 2010

जब पास हों तो कीमत खो जाती है

कुछ उलझन भरे मन के सवाल से उभरी है ये नज़म ........

मेरी आवाज़ की गूंज मुझसे ही उठती है,
मुझसे ही टकरा कर खो जाती है.

जागती है तकदीर जब हम सोते हैं,
आँखें खुलते ही तकदीर सो जाती है.

हम चलते हैं जब भटकन की राहों में ,
तब कदम भी देते हैं साथ,
जब आने लगे मंजिल तो राहें खो जाती हैं.

क्यों होता है कुछ खोने के बाद ही पाने का अहसाह ?
जब पास हों तो कीमत खो जाती है.

जब मिलते हैं दर दर की ठोकरें कदम को,
तो हर सीधा रास्ता भी अनजाना लगता है.

मेरी आवाज़ की गूंज मुझसे ही उठती है,
मुझसे ही टकरा कर खो जाती है.