शुक्रवार, जुलाई 20, 2012

 मैं   बहुत   परेशान हूँ  अपने  देश   के   हालत   पर,
 कोई लड़ रहा भाई- भतीजा कोई      जातिवाद  पर |

सरहद  पर   खून शहीदों का  जैसे  वारि की  धारी  है ,
हर दिन नए  घोटालों में  सनी    सियासत    सारी   है |


 जज़्बे पर हालात कभी,  हालात पर जज्बा भारी है ,
 हो जाओ तैयार नस्ल-ए-नव अब तुम्हारी  बारी है |

 "रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

गुरुवार, जुलाई 19, 2012

चला कहाँ बलखाते लश्कर सहाब का

क्यों न कहूँ इसे मौसम की  साहिरी,
बूटे-बूटे में सब्ज़ की सावनी छटा है |


चला कहाँ बलखाते लश्कर सहाब का,
ऐसे लगे किसी की जुल्फों की घटा है |


झील के सीने पर रवाँ हंस का जोड़ा,
शायद एक - दूसरे पर मर   मिटा है  |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

बुधवार, जुलाई 04, 2012

बाद मरने के भी "रजनी" लोग याद करें

ग़मगीन बेसहारों के घर को आबाद करें,
कुछ पल ही सही यतीमों को शाद करें |


ता -दम -ए ज़ीस्त नेकी में बर्बाद करें ,
शायिस्तगी हो सब में फरियाद करें |

बन कर शब माह तारीकी को बर्बाद करें,
सहराई को गुलशन सा आबाद करें|

दर्दमंदों के खिदमत में आगे हाथ करें,
बाद मरने के भी "रजनी" लोग याद करें |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"