शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2012

जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो

दिन इधर जो  बीते कुछ इस तरह से  मेरे
जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो

दे  कर   सामने    मुरादों  से   भरी  थाली
लेने   की सूरत  में  फ़ौरन  हटा   दिया हो

हसरतें  देकर"रजनी" उमंगों से  जीने  की
आख़िरी ख्वाहिश    में कज़ा दे   दिया   हो


8 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत,बेहतरीन लिखा है ...रजनी जी ,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....

MY NEW POST...आज के नेता...

sangita ने कहा…

सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

Dhirendra ji,,
Sangeeta ji......

shashtri sir.........aap sabhi ko mera hardik naman .....

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन .

सादर

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत खूब... वाह!
सादर.

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर है यह सौगात 'रजनी' की .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... सभी शेर कमाल के हैं .. लाजवाब ..

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

mera hardik aabhar .......