दिन इधर जो बीते कुछ इस तरह से मेरे
जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो
दे कर सामने मुरादों से भरी थाली
लेने की सूरत में फ़ौरन हटा दिया हो
हसरतें देकर"रजनी" उमंगों से जीने की
आख़िरी ख्वाहिश में कज़ा दे दिया हो
जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो
दे कर सामने मुरादों से भरी थाली
लेने की सूरत में फ़ौरन हटा दिया हो
हसरतें देकर"रजनी" उमंगों से जीने की
आख़िरी ख्वाहिश में कज़ा दे दिया हो
8 comments:
बहुत,बेहतरीन लिखा है ...रजनी जी ,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....
MY NEW POST...आज के नेता...
सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....
Dhirendra ji,,
Sangeeta ji......
shashtri sir.........aap sabhi ko mera hardik naman .....
बेहतरीन .
सादर
बहुत खूब... वाह!
सादर.
सुन्दर है यह सौगात 'रजनी' की .
बहुत खूब ... सभी शेर कमाल के हैं .. लाजवाब ..
mera hardik aabhar .......
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