सोमवार, सितंबर 13, 2010

वो भी तड़पा होगा उसी तरह खुद को बदलने में

 "कहते हैं लोग महबूब सनम को,
बदल गयी तुम्हारी नज़रे,
पर ये समझ नहीं पाते,
वो भी तड़पा होगा उसी तरह ,
खुद को बदलने में,
जैसे आत्मा तड़पती है,
तन से निकलने में."

-"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"