मंगलवार, सितंबर 14, 2010

जो एक हैं , उनमे कैसी दूरी

लौट आने को,
क्यों कहते हो ?
उन ख़्वाबों  को,
कल तक जो
तुम्हारे थे
आज वो  मेरे हैं |
ऐसा नहीं,
कि जो ख़्वाब  
कल तक
तुम्हारे पलकों पर सजते थे
रूठ गए तुमसे |
सच तो ये है 
अब वो
हमदोनों के हो गए हैं |
और जो एक हैं
उनमें  कैसी दूरी
 कैसा  बंटवारा ?

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

11 comments:

Khare A ने कहा…

sundar, shunyeta me ekta ko prabhasit karti aapki kirti

badhai

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बस एक शब्द: खूबसूरत!!!
आशीष

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khubshurat........badhiya!!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

alok ji ..........hardik aabhar hai aapko .

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aashish ji aapko bhi hardik sukriya aate rahiye.........sneh milta rahe.....

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

mukesh ji sukriya ye sneh bana rahe...........

kumar zahid ने कहा…

सच तो ये है कि ,
अब वो ,
हमदोनों के हो गए हैं.
और जो एक हैं ,
उनमे कैसी दूरी,
और कैसा बंटवारा.

जी रजनी,
बंटवारा वहीं होता है जहां एक होने की गुंजाइश नहीं होती।

कुमार अभिषेक ''अर्णव'' ने कहा…

Dear Sir/Mam
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and give your valuable comment.
Thanks

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik sukriya .............zahid ji........
abhishek ji aapko bhi hardik sukriya ..

sandhyagupta ने कहा…

aaj aapki kai rachnaon ko padha.aap bahut achcha likhti hain.aap jharkhand se hain yah jaankar aur bhi khushi hui.shubkaamnayen.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik aabhar sandhya ji ,mera saubhagya ham ek hi state ke hain .