"सबने जलाया ,
शब भर मुझे ,
सम्स के आते ही,
बुझा दिया.
क्यों मांगते हो,
मुझसे,
जो मेरा नहीं,
शब भर जलकर भी,
मेरा सवेरा नहीं ."
"रजनी "
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
4 comments:
tipaani ki jo presani thi wo ab khatm ho gayi hai .
aap sab apne tippani post kar sakte hain jo prob. thi tippani ke prakashan me wo ab thik ho gayi.
haan.................bahut khub...:)
aapke likhi panktiyan aapki tarah sundar..........hai na!
very nice line rajni ji .......................
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