बुधवार, मई 05, 2010

भर दो जाम से पैमाना मेरा




ये नज़्म बहुत पहले लिखी थी, ......
एक ज़िन्दगी से हारा हुआ इंसान जब शराब को अपना
सहारा समझता है तब मन में आये भाव कुछ ऐसे होते हैं,

भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,

होश में हम आयें ना,
इतना तो पी लेने दो,

रोको ना पी लेने दो,
होश मेरा खोने दो,
एक   मुद्दत से प्यास थी मेरी,
आज प्यास   बुझ जाने दो,
वो देखो आ रही खुशियाँ ,
रोको उन्हें,
अब  न जाने दो,


छा रही है खुशबु,
महफ़िल में ,
भर जाने दो,
शीशे में उतर रही है ज़िन्दगी,
इसे  उतर जाने दो,

आयें ना होश में हम ,
इतना  नशा आने दो,
शर्म को आती है शर्म आज तो,
शर्म को शर्माने दो,


भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न अब  पी जाने दो,
दिखती है सबको चांदनी
आसमां में रातों को,
आसमां से आज चाँद को ,
ज़मीं  पर  उतर जाने दो,

लहरा रहे  हैं हम आज ,
हवा  के संग-संग ,
हमें आज तो लहराने दो,

बढ़ती जायेगी और नशा,
ज़रा  रात को गहराने दो,
भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,
होश में हम आयें ना ,
इतना तो बहक जाने दो,

घबराते थे भय से ,पहले
अब तो सरक रही है,
भय कि चूनर,
चूनर और ज़रा  सरकाने दो,
रहे ना कोई चिलमन ,
दरमियाँ खुशियों के हमारे,
हर चिलमन हटाने दो,


खुशियाँ जो छिपी थी ,
चिलमन के पीछे ,
उन्हें पास तो मेरे आने दो,
सज रही है,
मेरे अरमानों की बस्ती,
  इसे और ज़रा  सज जाने दो,


जो भ्रम जीने न दे खुश होकर,
उस भ्रम को तज जाने दो,
,

भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,

होश में हम आयें ना,
इतना तो पी लेने दो,

"रजनी"

10 comments:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

ek achhi rachna

badhai

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत खूब।

श्यामल सुमन ने कहा…

किसी की पंक्तियाँ याद आतीं हैं-

ए-खुदा पीने वालों की बस्ती कहीं जुदा होती
जहाँ हुक्मन पिया करते न पीते तो सजा होती

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

नोट - यदि संभव हो तो "वर्ड वेरीफिकेशन" का उपाय करें रजनी जी। टिप्पणी करनेवालों को आसानी होगी।

Shekhar Kumawat ने कहा…

fir mujhe bhi madhahosh hone do
pi lene de shaki mujhe , fir hosh khone do
na roko mujhe aaj jalim jamane walo
is sharab me mujhe shayam dubeno do


ye khas aap ke liye


shekhar kumawat

बेनामी ने कहा…

उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!

बेनामी ने कहा…

उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!

बेनामी ने कहा…

उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!

बेनामी ने कहा…

उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aapsabhi ka sukriya

amrendra "amar" ने कहा…

RAjni ji man me ek nayi ek ajeeb si laher daud gayi hai .................bahut hi acchi najm ho gayi hai wahhhhhh