ये नज़्म बहुत पहले लिखी थी, ......
एक ज़िन्दगी से हारा हुआ इंसान जब शराब को अपना
सहारा समझता है तब मन में आये भाव कुछ ऐसे होते हैं,
भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,
होश में हम आयें ना,
इतना तो पी लेने दो,
इतना तो पी लेने दो,
रोको ना पी लेने दो,
होश मेरा खोने दो,
एक मुद्दत से प्यास थी मेरी,
आज प्यास बुझ जाने दो,
वो देखो आ रही खुशियाँ ,
रोको उन्हें,
अब न जाने दो,
अब न जाने दो,
छा रही है खुशबु,
महफ़िल में ,
भर जाने दो,
भर जाने दो,
शीशे में उतर रही है ज़िन्दगी,
इसे उतर जाने दो,
आयें ना होश में हम ,
इतना नशा आने दो,
शर्म को आती है शर्म आज तो,
शर्म को शर्माने दो,
भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न अब पी जाने दो,
दिखती है सबको चांदनी
आसमां में रातों को,
आसमां से आज चाँद को ,
ज़मीं पर उतर जाने दो,
ज़मीं पर उतर जाने दो,
लहरा रहे हैं हम आज ,
हवा के संग-संग ,
हमें आज तो लहराने दो,
बढ़ती जायेगी और नशा,
ज़रा रात को गहराने दो,
भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,
होश में हम आयें ना ,
इतना तो बहक जाने दो,
घबराते थे भय से ,पहले
अब तो सरक रही है,
भय कि चूनर,
चूनर और ज़रा सरकाने दो,
रहे ना कोई चिलमन ,
दरमियाँ खुशियों के हमारे,
हर चिलमन हटाने दो,
खुशियाँ जो छिपी थी ,
चिलमन के पीछे ,
उन्हें पास तो मेरे आने दो,
सज रही है,
मेरे अरमानों की बस्ती,
इसे और ज़रा सज जाने दो,
जो भ्रम जीने न दे खुश होकर,
उस भ्रम को तज जाने दो,
,
भर दो जाम से पैमाना मेरा,
रोको न ,पी लेने दो ,
होश में हम आयें ना,
इतना तो पी लेने दो,
इतना तो पी लेने दो,
"रजनी"
10 comments:
ek achhi rachna
badhai
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत खूब।
किसी की पंक्तियाँ याद आतीं हैं-
ए-खुदा पीने वालों की बस्ती कहीं जुदा होती
जहाँ हुक्मन पिया करते न पीते तो सजा होती
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
नोट - यदि संभव हो तो "वर्ड वेरीफिकेशन" का उपाय करें रजनी जी। टिप्पणी करनेवालों को आसानी होगी।
fir mujhe bhi madhahosh hone do
pi lene de shaki mujhe , fir hosh khone do
na roko mujhe aaj jalim jamane walo
is sharab me mujhe shayam dubeno do
ye khas aap ke liye
shekhar kumawat
उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!
उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!
उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!
उपरौक्त पक्तिय पढ़कर वाकई अब जाम के दो घुट पिने का मन कर रहा हे!
aapsabhi ka sukriya
RAjni ji man me ek nayi ek ajeeb si laher daud gayi hai .................bahut hi acchi najm ho gayi hai wahhhhhh
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