देखते ही उसे मेरे जिस्म में जान आ गया ,
मेरे मदावा -ए-दर्द -ए-दिल का सामान आ गया.
बाद -ए-सहर जैसी लगती थी जुदाई की बात
अब तो सर पर दूरी का ये तूफ़ान आ गया.
बहुत लिए उल्फ़त में इम्तिहान हम तेरे,
अब तो अपनी चाहत का इम्तिहान आ गया.
तन्हाई क्या होती है खबर नहीं थी दिल को,
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर ,जैसे श्मशान आ गया.
सीने में जलन आँखों में अश्कों का सैलाब "रजनी"
जानेवाली थी जान , कि दिल का मेहमान आ गया.
"रजनी"
1 comments:
aaapka hardik naman .........
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