रिश्ता एक ऐसी ईमारत है जो विश्वास की बुनियाद पर टिका है,कोई भी मंदिर या मस्जिद एक बार टूटकर दुबारा खड़ी की जा सकती है, पर रिश्ता की ईमारत विश्वास की नीव पर है इस विश्वास रूपी नीव के टूटने पर रिश्तों के महल पल में टूटकर बिखर जाते हैं, चूर हो जाते हैं,जीवन में हम अनेक रिश्तों से बंधें हैं,जिसमे कई रिश्तों को हम ता उम्र निभाने की सोंचते हैं बिना किसी कड़वाहट के,और उस रिश्ते को निभाने में कोई ऐसा मुकाम आ जाये जो रिश्ते को तार,तार कर रख दे तो जीवन का सफ़र बिल्कुल नीरस लगता है, टूट जाता है जीवन का सपना, हम जिस पर विश्वास कर अपने जीवन की डोर उसके हाथों में सौंप दें और विश्वास करनेवाला विश्वास तोड़ता नज़र आये, तो रिश्ते की कोई अहमियत नहीं रह जाती, अगर आप विश्वास करते हों तो विश्वास को सदा बनाये रखें, क्योंकि विश्वास की बुनियाद पर ही रिश्तों के महल टिके हैं.........जितना गहरा रिश्ता उतना ही गहरा विश्वास, और जब ये गहरे से विश्वास अचानक से टूटते हैं तो टुकड़े ही नहीं रिश्ते चूर हो जाते हैं, रिश्तों की गरिमा बनाये रखने के लिए अपने साथ जुड़े लोगों परहमें विश्वास बनाये रखना चाहिए और विश्वास को टूटने नहीं देना चाहिए........................................
रिश्ते
कांच के बने होते हैं रिश्ते ,
"रजनी"
15 comments:
Riste kafi hai acchhe hote
कविता मेँ अच्छा विचार है मगर परिष्कार की दरकार है।
अनेक'एक'का ही बहुवचन है मगर आप ने इसका भी बहुवचन 'अनेकोँ'बना दिया।
aapdono ko hardik sukriya.....
om ji salah ka sukriya likhwat me dhyan nahi gaya.......
accha likha hai rajni
tum hamesha hi achha likhti ho
सच्ची सोच के साथ रिश्तों को शब्द देने का सराहनीय प्रयास - कुछ शब्द और भावों का दोहराया नहीं जाता तो और अच्छा होता
mupat ke riste majhab se or dil ke riste viswas se banaye jate he
हकीकत को बयां करती अच्छी रचना रजनी जी।
जिस दिन से हो गयी परायी रिश्तों की पहचान
रोते रोते विदा हो गयी होठों से मुस्कान
देवी नागरानी जी की पंक्तियाँ हैं कि-
बाजार बन गए हैं चाहत वफा मुहब्बत
रिशते तमाम आखिर सिक्कों में ढ़ल रहे हैं
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
vikash bhaiya aapka aashirvaad hai ....
rakesh ji sukriya apna bahumulya mat dene ka
shekhar ji bilkul sahi kaha dil me vishwas ho to riste aaram se koi bhi tufaan ko sahan kar lete hain.........par aaj to riste ret ban gaye hain jara si muthhi dhili ki ,ki bikhar gaye
suman ji aapki ye panktiyan bhi wahi duhra rahi jo rachna bachne ke liye kah rahi .....dil se jude riste jab bikne lage to kya hoga ?
विश्वास मानव जीवन के लिए वो जरूरी तत्व है ,जिसके सहारे जीवन की गाड़ी सहजता से आगे बढती है / आज लोगों का जीवन दूभर बनाने के लिए दुष्ट और भ्रष्ट लोग इसी विश्वास पे हमला कर अपना हित साधने का प्रयास कर रहें हैं /हमें मिलकर ऐसे लोगों से लड़ना होगा /
bilkul sahi baat hai sir ji ,aaj tmaam riste bikne lage hain bas jaruri hai uske bhikhrne se bachane ki ..........
सराहनीय प्रयास
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