रविवार, मार्च 07, 2010

महिला दिवस पर कुछ (महिला सशक्तिकरण की चुनौतियाँ)

एक लेख.

महिलाओं के साथ सदियों से भेदभाव बरता गया.पुरुष प्रधान समाज ने प्रत्येक क्षेत्र में औरत को एक वस्तु के
रूप में उपयोग किया, महिलाओं की भेदभाव की सिथिति लगभग पूरी दुनियां में रही,इस दिशा में सकारात्मक
प्रयास भी किये गए, 8 मार्च 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
भारत में २००१ को महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाया गया , तथा महिलाओं के कल्याण हेतु पहली बार
राष्ट्रीय महिला उत्थान नीति बनाई गयी,जिसमे महिलाओं की सिक्षा,रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा में सहभागिता
को सुनिश्चित कराया गया.सामाजिक आर्थिक नीतियाँ बनाने के लिए महिलाओं को प्रेरित करना.महिलाओं
पुरुषों को समाज में सामान भागीदारी निभाने हेतु प्रोत्साहित करना.बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति विविध
अपराधों के रूप में व्याप्त असमानताओं को ख़त्म करना.बहुत सारी योजनाओ को भी सरकार ने महिलाओ की
सिथिति को सुधारने के लिए गठित किये, जिनमे, इंदिरा महिला योजना, एक योजना १५ अगस्त २००१ को
ऋण योजना शुरू की गयी जिसे १५-से १८ वर्षीय किशोरियों के लिए बनायीं गयी.

७३ वे ७४ वे संविधान संशोधन द्वारा देशभर में ग्रामीण व् नगरीय पंचायतों के सभी स्तर पर महिलाओं हेतु एक
तिहाई सीट आरक्षित की गयी.भारत सरकार ने वर्ष २००१ में राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना करते हुए महिलाओं को
सशक्त बनाने हेतु भारतीय तलाक ( संसोधन)२००१ की पारित (१) महिलायों पर घरेलु हिंसा(निरोधक)
अधिनियम २००१ (२)परित्यक्ताओं हेतु गुजारा भत्ता (संसोधन) अधिनियम २००१(२) बालिका अनिवार्य
शिक्षा एवं कल्याण विधेयक २००१.उपरोक्त सरकारी सुविधाओं के बावजूद अपेक्षित लाभ
नहीं मिल पाया है,अनेक जगह अनेक बढ़ाएं अभी भी मुंह बाये खड़ी हैं.प्रथमतया पुरुष वर्ग की प्रधानता समाज में
आज भी बनी है,नारी का शोषण जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवार,सम्पति,
वर का चयन,खेल,शासकीय सेवा,शिखा,विज्ञापन,फिल्म,असंख्य कानून होने के बावजूद बने हैं.पर,
कुछ वर्षों से महिलायों की रहन सहन के सामाजिक स्तर में काफी बदलाव आये हैं, वे अब हर क्षेत्र में अपने
कदम आसानी से बढ़ाने लगी है,ये भी अपने जीवन में आज़ादी को मायने देती हैं यहाँ आज़ादी का मतलब है, पैसा,पॉवर,मन की आज़ादी, बेहतर जॉब.अगर अच्छी जॉब हो तो पैसा,पॉवर, और आज़ादी खुद ब खुद आ जाती है.
आज भी महिलाओं के लिए उनका परिवार ही सबसे ज्यादा मायने रखता है,यह एक ऐसा ट्रेंड है जो कभी नहीं बदला,परिवार को एक सूत्र में पिरोनेवाली महिलाएं आज पुरुषों के साथ या उनसे आगे चल रही
पर उनके लिए आज भी सबसे ज्यादा परिवार ही महत्व रखता है,महिलाएं हर क्षेत्र में आज अपनी सक्रिय
भूमिका निभा रही हैं,अब उनकी आज़ादी पर पाबंदियां जैसे बंदिशें टूटने लगे हैं,जिसका सारा श्रेया खुद
महिलाओं को जाता है...आप सभी महिलाओं को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें हम महिलायें ऐसे ही
आगे बढ़ते रहें....

"रजनी"