ख़्वाब आयें पलकों पर ,तमन्ना नहीं रही,
कि रातें भी तो अब सुकून से कटती नहीं ,|
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लिखनेवाले ने, कतरे को भी दरिया लिखा ,
जब बात आई इतिहास की दरिया नहीं मिला कहीं |
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हर बार चुकाने की सोचूँ दर्द का ब्याज,
पर जुड़ा है दर्द ज़िन्दगी से,सूदखोर की तरह |
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"रजनी"
कि रातें भी तो अब सुकून से कटती नहीं ,|
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लिखनेवाले ने, कतरे को भी दरिया लिखा ,
जब बात आई इतिहास की दरिया नहीं मिला कहीं |
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हर बार चुकाने की सोचूँ दर्द का ब्याज,
पर जुड़ा है दर्द ज़िन्दगी से,सूदखोर की तरह |
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" जो हर बात
पर दाद
देते हैं
, हर बात
पर वाहवाही
,
"सब धान बाईस पसेरी "उनकी महफ़िल में गया
तो पाया |**********************************************
एक राह है
जो
मंजिल तक जाती है,
एक राह है जो मंजिल भुलाती है |
3 comments:
भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
वाह वाह ,,,,,बहुत खूब रजनी जी,
भावों को रचना में बड़ी खूब शूरती से उकेरा है,,,बधाई
RECENT POST - मेरे सपनो का भारत
वाह वाह ,,,,,बहुत खूब रजनी जी,
भावों को रचना में बड़ी खूब शूरती से उकेरा है,,,बधाई
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