गुरुवार, फ़रवरी 16, 2012
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डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 16.2.12
10 comments:
फिर क्या हुआ??
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बहुत खूब!
har baar ki tarah ek aur shandaar rachnaaaaaaaaaa
बहुत खूब ...
ख्वाब था हकीकत सा..मैं बहल रही थी...
बहुत खूबसूरत रचना...
वाह
बहुत ही सुन्दर भाव रचना:-)
कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं.
Aap sabhi ko mera haidik sukriya rachna ko pasand aur protsahit karne ke liye.......
बहुत खूब .. मतलब तो दिल के बहलने से है .. लाजवाब ...
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