मंगलवार, दिसंबर 06, 2011

नसीब देखिये कैसे अजीब होते हैं

सुलगते दिल के शरारे अजीब होते है,
भड़कती आग के शोले अजीब होते है.

ढलक ही जाते हैं पलकों से क़तर-ए-आंसू,
ग़म-ए -जुदाई के लम्हे अजीब होते हैं.

तड़प   रहा है कोई, और सुलग रहा है कोई,
यह चाहतों के भी किस्से अजीब होते हैं.

जुबाँ खामोश निगाहों से बात होती है,
नज़र नज़र के इशारे अजीब होते हैं.

हुआ है शहर में गुम, ढूंढते हैं जंगल में,
जूनून-ए-इश्क के मारे अजीब होते हैं.

किसी की होके  भी "रजनी" किसी की हो ना सकी,
नसीब देखिये कैसे अजीब होते हैं.

15 comments:

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह! बेहतरीन.... ग़ज़ल के माध्यम से एक दम सही बात कही है आपने...

SANDEEP PANWAR ने कहा…

ये अजब-गजब ही जीवन है।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

मेरा हार्दिक आभार .........आप दोनों को ......

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

सुंदर शब्दों द्वारा अच्छी अभिव्यक्ति है.

Roshi ने कहा…

bahut sunder bhav..............

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जीवन की कशमकश लिए पंक्तियाँ....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

Ramesh ji hardik aabhar yaha aane k liye...

rosi ji aapka bhi sukriya .....

Dr.monika achha laga aapka aana.....

Gafil ji hardik naman hausla badhane k liye. aap sabhi ka sneh bana rahe.....

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत बढि़या।

Akhil ने कहा…

lajawaab aur mukkmal gazal.sabhi sher kabile daad hain..maqta khas taur par pasad ayaa mujhe.

Akhil ने कहा…

lajawaab aur mukkmal gazal.sabhi sher kabile daad hain..maqta khas taur par pasad ayaa mujhe.

#vpsinghrajput ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।
मेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वाह वाह! आज तो मामला फ़िट है। कुछ शेर बढिया बन पड़े हैं।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko mera hardik sukriya.....ye sneh yun hi milta rahe.....

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

rajni ke naseeb ka kya kahna...... bahut pyari si baat:)