मेरे शब्द ,मेरे विचार .
जिस दिन ये भरम टूट जायेगा उस दिन हम भी बिखर जायेंगे तिनके के जैसे .
तो अच्छा है हम भी इसी भरम में खुश रहें , जिसमे दुनिया खुश रहती है|
"मेरे पास सब कुछ है "
अपनी गलतियों पर पर्दा डालने से अच्छा है उन्हें बखूबी स्वीकार कर सुधारा जाये |
एक के कदम "हजारों के रास्ते बनते हैं " तो क्यों न हम " हर रोज़ एक नयी राह बनाएं |
जिस शक्ति (नारी ) की जयगाथा पुरानो में शोभ रही थी,
आज अपनी ही कमजोरी से वो कहीं कहीं शक्तिहीन है (नारी)
अपनी कमजोरी को और कमजोर न बना कर, उसे अपनी शक्ति बनाओ
फिर "तलवार भी तुम और ढाल भी तुम" |
सही अर्थ में पुरुष वही है जो अपने बल का प्रयोग असहायों के सहयोग के लिए करें,
न की निर्बल व् अबला पर बल आजमा कर |
कहते हैं आँसू हमें कमजोर बनाते हैं, नहीं ये हमें और मजबूती प्रदान करते हैं अपने लक्ष्य को पाने की "|
हर राह आसान होगी "बस संकल्प पक्का होना चाहिए "
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
16 comments:
kya baat hai...aap updeshon ke saath:)
bahut khub!
बहुत ही बढ़िया विचार.
सलाम
BAHUT HI SUNDER VICHAR
BADHAI
gahan vichaaron ki potli
mukesh ji .........
sagabob ji
mo ji ....
rashmi didi ...........
aap sabhi ko mera hardik naman .......
दृढ-निश्चय ही हमें मानसिक संबल देता है । बेहद सार्थक प्रस्तुति ।
बहुत ही बढ़िया विचार| सार्थक प्रस्तुति|
स्वागतेय, प्रेरक विचार.
aap sabhi ko mera hardik aabhar ......
divya ji .....
rajesh ji ....
patil ji ......
बहुत सुन्दर और प्रेरक विचार..
hardik aabhar aapka .......
आपके विचारों से सहमत हूँ और आपके सोच की प्रशंसा करता हूँ.
वाकई...!! जीवन में कुछ भरम को पाले रहना ही ठीक है ना खोलें तभी अच्छा रहेगा !
बहुत अच्छा लिखती हो आप अपना सन्देश देने में कामयाब हैं ! सोंचने को मजबूर करती हैं आपकी रचनाएं !!
बधाई
aabhari hun is sneh ke liye.......
bahut sundar rachana ..
LAXMI NARAYAN LAHARE
gramin mitra
ye acchi prerak aur swabhiman se rachi gayi rachna hai...
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