शुक्रवार, जनवरी 28, 2011

बेटी होना गुनाह है ?

बेटी माँ से :
बेटी होना गुनाह है ?
माँ ,
बस  तीन बातें याद रख .....
भगिनी ,
भोग,
भरण.
 तू इसी लिए
पैदा हुई है | 
 बेटी ने कहा
ये ठीक नहीं माँ
मुझे
ये बंधन  नहीं,
ख़ुद का
फैसला भी चाहिए,
जो मुझे
अपने रूप से जीने दे
माँ :
अच्छा होता
ये कुल कलंकिनी
पैदा ही ना लेती |
तू तो ,
नारी  जाति के ,
नाम पर
कलंक है
जो वर्षों से
चली आ रही
इस
मर्यादा को
तोड़ने पर
उतारू है |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

4 comments:

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बहुत ही गहरे जज्बात के साथ दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति.......

संजय भास्‍कर ने कहा…

गहरे जज्बात के साथ
शिक्षा की जागरूकता से ही सुधार की आशा की जा सकती है
प्रशंसनीय प्रस्तुति

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

mera hardik aabhar aap dono ko...

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

भारत की पारिवारिक, शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक व्यवस्था में सुधार हेतु मेरे सुझाव निम्नलिखित हैं। इसके पर नारी सशक्तिकरण भी संभव होगा।
@ भारत के हर नागरिक के लिए पाँच वर्ष तक सैनिक-सेवा अनिवार्य हो। @ जसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए एक संतान वाले दम्पति के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना लागू हो।
@ विदेशों में जमा वह काला धन जो भारतीय जनता के खून-पसीने की कमाई का है, भारत लाया जाय।
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी