बालिका दिवस पर एक अजन्मी लड़की की व्यथा (फिर भी कहती हूँ जननी हूँ)
जन्म लेकर क्या करूँ मै,
तुम्हारे इस संसार में.
क्या दे सकोगे ?
मुझे ख़ुद सा जीने का अधिकार,
अन्यथा करते रहोगे,
तमाम उम्र ,
हर रिश्तों में मेरा व्यापार.
हर साँस बस ,
घुट कर ही जीना ज़िन्दगी ,
तो,
अच्छा है मुझे ,
जन्म से पहले ही मार दो.
आ जाऊं इस संसार में तो ,
मांगूगी अपना अधिकार.
जब भी अधिकार के लिए ,
आवाज़ मैंने उठाई,
जन्मदाता ने ,
एक ही बात दुहराई.
क्यों पढ़ाया चार अक्षर इसे,
रहती ये भी अनपढ़,
ना दिखाती ये आँखें,
ना रहते ऐसे तेवर.
चुप्पी और सहनशीलता ही,
ऐ लड़की तेरे ज़ेवर .
क्या तेरी माँ,दादी ने कभी ,
ऊँची आवाज़ लगायी,
किया किसी ने विरोध कभी ,
मर्दों के फैसले पर.
फिर क्यों तू ?
फैला रही अपने कटे हुए पर.
जब भी अधिकार के लिए ,
आवाज़ मैंने उठाई,
विरोध किया जब भी ,
किसी अनर्गल बातों का,
तो झट कह दिया जन्मदाता ने,
बेटी न पैदा लेती,
या पैदा लेते ही मर जाती.
इसके ऐसे कर्म से तो ,
कुल की मर्यादा ना जाती |
फिर भी कहती हूँ जननी हूँ,
जन्म देने का ही नहीं,
इच्छित सांसो से ,
जीने का है अधिकार मुझे |
दे पाओ ये अधिकार,
तो लाना इस संसार में,
आ जाऊं संसार में तो,
मांगूंगी अपना अधिकार.
" रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
जन्म लेकर क्या करूँ मै,
तुम्हारे इस संसार में.
क्या दे सकोगे ?
मुझे ख़ुद सा जीने का अधिकार,
अन्यथा करते रहोगे,
तमाम उम्र ,
हर रिश्तों में मेरा व्यापार.
हर साँस बस ,
घुट कर ही जीना ज़िन्दगी ,
तो,
अच्छा है मुझे ,
जन्म से पहले ही मार दो.
आ जाऊं इस संसार में तो ,
मांगूगी अपना अधिकार.
जब भी अधिकार के लिए ,
आवाज़ मैंने उठाई,
जन्मदाता ने ,
एक ही बात दुहराई.
क्यों पढ़ाया चार अक्षर इसे,
रहती ये भी अनपढ़,
ना दिखाती ये आँखें,
ना रहते ऐसे तेवर.
चुप्पी और सहनशीलता ही,
ऐ लड़की तेरे ज़ेवर .
क्या तेरी माँ,दादी ने कभी ,
ऊँची आवाज़ लगायी,
किया किसी ने विरोध कभी ,
मर्दों के फैसले पर.
फिर क्यों तू ?
फैला रही अपने कटे हुए पर.
जब भी अधिकार के लिए ,
आवाज़ मैंने उठाई,
विरोध किया जब भी ,
किसी अनर्गल बातों का,
तो झट कह दिया जन्मदाता ने,
बेटी न पैदा लेती,
या पैदा लेते ही मर जाती.
इसके ऐसे कर्म से तो ,
कुल की मर्यादा ना जाती |
फिर भी कहती हूँ जननी हूँ,
जन्म देने का ही नहीं,
इच्छित सांसो से ,
जीने का है अधिकार मुझे |
दे पाओ ये अधिकार,
तो लाना इस संसार में,
आ जाऊं संसार में तो,
मांगूंगी अपना अधिकार.
" रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
12 comments:
बालिका दिवस पर संसार की हर बालिका को हार्दिक बधाई
बालिका दिवस पर समाज में बालिकाओं की स्थिति का सही चित्रण करती पोस्ट.
समाज को अपनी सोंच में सुधार करना होगा।
बालिकाएं ईश्वर के वरदान हैं। जिनके घर बेटियां हैं, समझिए, सारे तीर्थ वहीं विराजमान हैं।
प्रशंसनीय प्रस्तुति।
बालिका दिवस पर इससे अच्छी पोस्ट नहीं हो सकती। हार्दिक बधाई।
शिक्षा की जागरूकता से ही सुधार की आशा की जा सकती है
जय भारत ! जय गणतंत्र ! वंदे मातरम !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
betiyon per 2 din phele maine bhi kuch likha hai
रजनी जी , बालिका दिवस पर बहुत ही सुंदर एवम विचारणीय प्रस्तुति.........
aap sabhi ko mera hardik aabhar .......
Rajni jee...bahut pyari rachna..!!
lekin sach kahun...bahut kuchh badal chuka hai, aur bahut kuchh badalne wala hai...
balikayen aur balako me vibhed dhire dhire ek purani baat ban chuke hai...:)
BAHUT ACCHI RACHNA HAI. AISE HI LIKHTI RAHE.
aap dono ko aabhar mukesh ji ....
rajesh ji
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