शुक्रवार, अक्तूबर 01, 2010

नमन आपको

जिन्हें कहा गया गुदडी का लाल आज उनका भी पावन जन्मदिन है  (लाल बहादुर शास्त्री)आज गाँधी जयंती है
मोहनदास करमचंद गाँधी, महात्मा गाँधी, बापू, शान्ति और अहिंसा के प्रतीक, हमारे राष्ट्रपिता का जन्म आज के ही दिन 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ|
 हमने  जो आज़ादी की हवा को महसूस किया है अपने सांसो में, तो वो देन उन्ही महापुरुषों की है जिन्होंने हमें ये आज़ादी दिलाने में कितने इम्तिहान दिए ज़िन्दगी के हर सुख चैन को लूटा कर . उनसे मिली इस आज़ादी की सौगात को हमें प्रेम भाईचारे ,और एकता से निभाना चाइए ,पर आज तो देश की जो हालत होती जा रही ऐसा लगता है जल्द ही फिर कोई गुलामी की ज़ंजीर न जकड ले हमें.........क्योंकि जिस सूत्र में हमें बंधे रहने का मूल मंत्र दिया गया था उसे तो कबका भूल चुके हैं और आज अपनी ही हित में सब लग गए हैं पहले अपनी रोटी सीके बाद में कुछ हो .....देश का, समाज का क्या होगा इससे .........जब बांधनेवाली  डोरी ही टुकड़े में बाँटने का प्रेरणा दे ,तो कैसे उस डोरी से बंधे रहने का उम्मीद की जाये .............हमें आपसी मतभेद, जाति ,पाती ,धर्म, मजहब सब भूलकर एकता और सही मार्ग को अपनाना होगा ...........तभी पाए गए आज़ादी के मूल्य को चूका पाएंगे उन महापुरुषों  को .जिन्होंने आत्म बलिदान देकर हमें ये सुनहरा भविष्य दिया ..........गाँधी जी ने सारी जीवन बस २ धोती में गुजार दिया ,क्या आज वो संयम  नज़र आता है किसी भी राष्ट्र  के कर्णधार में ,जो बापू में थी. आज समाज को नए दिशा देने की जरूरत है...........तभी हमारा आनेवाला कल फिर किसी बेड़ियों के बंधन से मुक्त रहेगा.........बापू अपने कर्मो से ही आज विश्व में जाने और माने जाते हैं आइये हम भी कुछ ऐसा करें जिससे युगों युगों तक सत्कर्म के रूप में याद रखे जाएँ लोगो के दिल में ...........जय हिंद , जय बापू की ........

"रघुपति राघव राजा राम, पतित पवन सीता राम ,
भज प्यारे तु सीताराम इश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान".
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जिन्हें कहा गया गुदडी का लाल आज उनका भी पावन जन्मदिन है  (लाल बहादुर शास्त्री)लालबहादुर शास्त्री , जिनका जन्म २ अक्टूबर १९०४  में एक गरीब परिवार में ,मुग़ल सराई  में हुआ .कर दिया अपने राष्ट्र को समर्पित अपना सारा जीवन , और हमें आज की ये आज़ादी भरी ज़िन्दगी देने को ख़ुद न्योछावर कर दिया देशप्रेम और सच्चाई के लिए ये महापुरुष लोग हँसते हँसते बलिदान  हो गए .और दे दी हमें अपने लगाये हुए गुलशन का सारा बहार ये कह कर की अबसे इस चमन के तुम सब ही रखवाले हो..हमने उनके द्वारा लगाये चमन को अपने ही हाथों उजाड़ने में लगे हैं.....
इन दोनों महापुरुषों को हमारा श्रधा भरा नमन जिनकी  आज पावन  जन्मदिवस है ...


"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"