" बेबस रहा संगीत मेरा,
संवरने को ,
हम बंधे खड़े रहे ,
रीतों से ,
अब वो साज़ ,
नज़र नहीं आता ,
जो बन जाते थे,
धुन मेरे गीतों के.."
"रजनी "
रजनी मल्होत्रा ( नैय्यर) झारखण्ड बोकारो थर्मल , शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. जारी | लालन पालन झारखण्ड के रांची में, विवाहोपरांत बोकारो थर्मल | मंच पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित .|
2 comments:
कम शब्दों में गहरी अभिव्यक्ति.
सुन्दर कविताओं की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
aapka hardik naman sanjay ji ....
एक टिप्पणी भेजें