गुरुवार, जून 24, 2010

बेबस रहा संगीत मेरा

" बेबस रहा  संगीत मेरा,
संवरने  को ,
हम बंधे खड़े  रहे ,
रीतों से ,
अब वो साज़ ,
नज़र नहीं आता ,
जो बन जाते  थे,
  धुन मेरे गीतों के.."

"रजनी "

2 comments:

36solutions ने कहा…

कम शब्‍दों में गहरी अभिव्‍यक्ति.

सुन्‍दर कविताओं की प्रस्‍तुति के लिए धन्‍यवाद.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aapka hardik naman sanjay ji ....