जलाने की क्या ख़ूब सजा देता है
सोमवार, जून 28, 2021
जलाने की क्या ख़ूब सजा देता है
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 28.6.21 1 comments
शनिवार, जून 19, 2021
पिता दिवस
त्याग समर्पण प्यार पिताजी
खुशियों का संसार पिताजी
हर शय वो क़दमों में रख दें
सुख का हर आधार पिताजी
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छत औ दरों-दीवार पिताजी
बीच भँवर पतवार पिताजी
मजबूती से थामें हर पल
गृहस्थी का भार पिता जी
"रजनी"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 19.6.21 0 comments
रविवार, जून 07, 2020
जन्मदिवस बधाई संदेश
मिलने लगे स्नेह भरे शुभ सन्देश के बोल
ये आशीष समेट लूँ भर लूँ दामन खोल
"रजनी"
अपनेपन का आभास मिला आदर और उत्साह मिला
इन आभासी रिश्तों से भी अपनों वाला अनुराग मिला
सगे रिश्तों से बढ़ कुछ नाते मिले ये तो है सौभाग्य मेरा
कुछ लोगों पर विश्वास बढ़ा कुछ लोगों से विश्वास मिला
"रजनी"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 7.6.20 2 comments
बुधवार, जून 03, 2020
तुम्हारी हर जहरीली चाल की ख़बर है मुझे
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मतलबों में ढलते रिश्ते
पल-पल रंग बदलते रिश्ते
अपने ही करते गद्दारी
बेबस मन को ख़लते रिश्ते
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छुड़ा लो दामन उनसे तो और नहीं डस पाएँगे
रिश्तों के केंचुल ओढ़े जो आस्तीन के साँप हैं
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मैं तो उनलोगों के हर साज़िश से वाक़िफ हूँ
बस देखना है उनके गिरने की हद्द क्या है
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किसी के ज़ख्म का कोई ख़रीदार नहीं होता
ज़ख़्म बिक जाए कहीं ऐसा बाज़ार नहीं होता
लोग मिल जाते अगर हाथों में मरहम लिए
टूटकर लोगों का दिल ऐसे बेज़ार नहीं होता
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चेहरे पर चाहे लाखों चेहरे रखो मुखौटे डाल कर
उखड़ जाते गहरे शजर भी वक़्त की आँधियों में
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फ़रेब खा कर मुस्कुराना सीख लो
काँटों से दामन छुड़ाना सीख लो
दफ़्न करके अपने दिल में सारे ग़म
रिश्तों को तुम आज़माना सीख लो
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ज़ख्म सील गए तो क्या दाग़ तो रह जाएँगे
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 3.6.20 10 comments
शुक्रवार, मई 15, 2020
ऐसे तो हर एक जंग में होती है शह और मात
हमें अब जीना होगा इस कोरोना के साथ
हाथ मिलाना छोड़कर दोनों हाथों को जोड़िये
अपने संस्कार यही हैं अपवादों को तोड़िये
मास्क लगा कर दूर से करें सब आपस में बात
हमें अब जीना होगा इस कोरोना के साथ
लौट कर सब वापस सनातन संस्कृति में आईये
फ़ास्ट फूड को छोड़ हमेशा देशी व्यंजन खाईये
अदरक हल्दी गिलोय और ले तुलसी का साथ
हमें अब जीना होगा इस कोरोना के साथ
"लारा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 15.5.20 7 comments
शनिवार, मई 09, 2020
मातृ दिवस की बधाई संसार की सभी माताओं को
मातृ दिवस की बधाई संसार की सभी माताओं को
आह दर्द और बेचैनियों को पहचान लेती है
वो बिन बोले ही सारी बातें जान लेती है
माँ का राब्ता बच्चों संग दिल-ओ-जान से
गुज़र जाती है हद्द से जब वो ठान लेती है
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स्नेह का पिटारा हो, रोज खुल जाती हो, लगती हो त्यौहार माँ
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"जब भी मचलता है मेरे अंदर का बचपन,
पास तेरे आकर माँ लिपट जाता है मेरा बचपन "
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चूम लिया माँ ने लगाकर गले से हर बला मेरे सर से टल गई
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तेरे हुनर के क़द सा कुछ भी नहीं ,तुझ पर लिखूँ भी तो क्या लिखूँ माँ ( 😊 अपनी माँ समर्पित )
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सफ़र में माँ की दुआओं का सर पे साया है हर एक बला से मुसीबत से बचा लेगा
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"लारा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.5.20 9 comments
बुधवार, मई 06, 2020
जब ज़िंदगी मुख़्तसर है
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 6.5.20 9 comments
रविवार, मई 03, 2020
ग़ज़ल
नाव से ही उतर गए कुछ लोग
करके क़ुर्बान ज़िंदगी अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग
हर सितम सह रहे यहाँ जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग
सोच कर राह की परेशानी
राह में ही ठहर गए कुछ लोग
जो खड़े सर पे हैं कफ़न बाँधे
साथ उनके उधर गए कुछ लोग
दाग लगने न दी अना पर जो
आग पर से भी गुजर गए कुछ लोग
"लारा "
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 3.5.20 6 comments
गुरुवार, अप्रैल 30, 2020
मजदूर
अपने साधना के पथ का,
रहता है निरंतर
प्रयासरत ,
पूरी करने के लिए
औरों के जीवन
के अनुष्ठान को |
करता है
जीवन अपना होम
जिसमें जलती हैं
उसकी समस्त आकांक्षाएँ
यही है मजदूर की परिभाषा !
"लारा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 30.4.20 7 comments
ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी
कभी जीत कभी हार है ज़िंदगी
जब चाहे वो हमसे वापस ले ले
ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी
"लारा"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 30.4.20 6 comments