मैंने भी खींची थी ,
एक रेखा |
जिसे,
नाम नही दिया था
बस इतना पता था,
इसके घेरे से बाहर जाना है,
तभी टूटेगी भ्रामक सोच |
हर दिन के साथ
बढ़ती गयी ,
परिधि रेखा की...
छोटे होते गए
विकृत विचार,
अवमाननायें ,
जिसने उद्गार का सोता
बंद कर दिया था |
पनप चुके
धधकते ज्वालामुखी ने ,
ले लिया था आकार,
बस तलाश थी
कमजोर ज़मीं की,
एक दिन फूटा ,
सोता उद्गार का
फिर ,
हट गए सारे प्रश्नचिन्ह,
जिसने
मानदंड तय कर रखे थे ,
हर रेखा लक्ष्मण रेखा सी प्रतिबंधित होती है |
एक रेखा |
जिसे,
नाम नही दिया था
बस इतना पता था,
इसके घेरे से बाहर जाना है,
तभी टूटेगी भ्रामक सोच |
हर दिन के साथ
बढ़ती गयी ,
परिधि रेखा की...
छोटे होते गए
विकृत विचार,
अवमाननायें ,
जिसने उद्गार का सोता
बंद कर दिया था |
पनप चुके
धधकते ज्वालामुखी ने ,
ले लिया था आकार,
बस तलाश थी
कमजोर ज़मीं की,
एक दिन फूटा ,
सोता उद्गार का
फिर ,
हट गए सारे प्रश्नचिन्ह,
जिसने
मानदंड तय कर रखे थे ,
हर रेखा लक्ष्मण रेखा सी प्रतिबंधित होती है |
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