ख़ुदा कैसा लिखा मुकद्दर , क्या रंजिश निकाली ?
जिसे भी अपना समझा , बदले में पाया गाली |
किस बात का अचम्भा किस बात का है झगड़ा,
स्वीस बैंक भर उनके, है दामन अपना खाली |
क्योंकर वो सुनेंगे शोर तेरे , हों जिसके हाथ सेंसर ?
कहीं पे बदनाम मुन्नी , कहीं हुई शीला कहानी |
अब आग पर चलने जैसा, हो गया है चौराहा,
मौवालियों को दिखें हर आती-जाती कलियाँ साली |
कई सराफ़त के पुतलों के घरों में , आ गया बवंडर ,
एक बेवा ने अपनी मर्ज़ी से घर क्या बसा ली |
वो मासूम कली रोकर ,पकड़ कर पांव उसके बोली,
बाबा ब्याह ना कराना ,अभी तो मेरी उमरिया बाली |
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
जिसे भी अपना समझा , बदले में पाया गाली |
किस बात का अचम्भा किस बात का है झगड़ा,
स्वीस बैंक भर उनके, है दामन अपना खाली |
क्योंकर वो सुनेंगे शोर तेरे , हों जिसके हाथ सेंसर ?
कहीं पे बदनाम मुन्नी , कहीं हुई शीला कहानी |
अब आग पर चलने जैसा, हो गया है चौराहा,
मौवालियों को दिखें हर आती-जाती कलियाँ साली |
कई सराफ़त के पुतलों के घरों में , आ गया बवंडर ,
एक बेवा ने अपनी मर्ज़ी से घर क्या बसा ली |
वो मासूम कली रोकर ,पकड़ कर पांव उसके बोली,
बाबा ब्याह ना कराना ,अभी तो मेरी उमरिया बाली |
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
6 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
बहुत उम्दा प्रभावी सुंदर गजल ,,
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
रजनी जी सूक्ष्म अध्ययन के साथ सामाजिक विडंबनाओं को उजागर किया है। प्रत्येक वाक्य और शद्ब अपराधियों एवं पापियों के लिए हथौडे का घांव है।राजनीति, आर्थिक दुर्व्यवहार, एहसान फरामोश, पतित, फिल्मों भडकिलापन, शरिफों का मखौटा धारण करना, विवाह संस्था पर जबरदस्त व्यंग्य है। हर चौराहे को आग लगना और आग पर चलना सामाजिक स्थितियां बिगडने का एहसास करवाता है। दो-दो पंक्तियों की सुंदर व्यंग्यजलें।
Aap sabhi ko mera hardik aabhar...
Shastri sir .......
Dhirendra g .....
Rajendra g .....
DR. Vijy g ........ main blog zagat se dur hone ke karan aapsabhi ko prtikriya nahi de payi kshama chahti hun vilamb ke liye .
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