दिल का टुकड़ा , रहा बरस भर घर से बाहर
माँ चूमे मुखड़ा , घर बेटा आया होली में |
मेहँदी छूटने से पहले चला गया परदेश जो
बिछड़ी उस विरहन से मिलने , आया होली में |
जिस बेटी की हुई विदाई इसी माह के अन्दर,
पलकें भींगी राह तकेगी, इस बार होली में |
कल तक रंजिश थी जिसको जिस किसी से ,
मिलकर साथ में , धो डालो रंजिश होली में |
सूना है "रजनी" वो छोड़कर फिरसे चला जायेगा ,
जो रंग कभी ना जायेगा, डालो इस बार होली में |
माँ चूमे मुखड़ा , घर बेटा आया होली में |
मेहँदी छूटने से पहले चला गया परदेश जो
बिछड़ी उस विरहन से मिलने , आया होली में |
जिस बेटी की हुई विदाई इसी माह के अन्दर,
पलकें भींगी राह तकेगी, इस बार होली में |
कल तक रंजिश थी जिसको जिस किसी से ,
मिलकर साथ में , धो डालो रंजिश होली में |
सूना है "रजनी" वो छोड़कर फिरसे चला जायेगा ,
जो रंग कभी ना जायेगा, डालो इस बार होली में |