शनिवार, दिसंबर 22, 2012

नारी सिर्फ एक मादा देह नहीं |

नारी   सिर्फ एक मादा  देह नहीं ,
 प्रकृति की सुन्दरतम रचना है |
जैसे  तुम हो पुतले  ,
हाड़ मास  के बने हुए |
जीती , जागती , साँस लेती है ,
वो भी बिलकुल  तुम्हारी  तरह |
कैसे समझ लिया नारी  को,
 सिर्फ भोग की वस्तु ?
जब चाहा रौंद डाला |
इससे तुम्हारी पुरुषता
उसी दिन नामर्दी में तब्दील हो गयी ,
जिस दिन किया ,
 किसी अबला के हया को तार -तार |
भूल गए शायद ?
तुम्हारे अस्तित्व का कारण भी ,
वो ही है एक मादा देह |
फिर कैसे मिलाते हो ,
नज़रें , किसी से ?
जो अपने कमजोरी को ,
पुरुषत्व समझ कर समझता है,
 एक निरीह  को रौंद कर ,
अपनी मर्दानगी साबित  कर दी  है ,
धिक्कार है ऐसे कापुरुषों पर,
अपनी ही रचना पर आज प्रकृति  क्यों है मौन ?
अबला के जख्म पर दे ऐसी मरहम ,
ऐसे कापुरुषों का  पुरूषत्व
कई सदियों तक न जागे  |

13 comments:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

लोगों की सोच बदलनी जरुरी है।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

लगता है पिछले जन्मो के कृत्यों से लोग इस जन्म में
हिजड़े बन कर पैदा होते है,,,,

recent post : समाधान समस्याओं का,

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


दिनांक 24/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आक्रोश की अभिव्यक्ति है .. सच ही है ... ऐसे कापुरुष भी हमारे समाज का अंग हैं ... शर्म आती है अपने पे ...

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik aabhar aap sabhi ko.......

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

soch badal paye to sundartam desh kahlayn...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-12-2012) के चर्चा मंच-११०३ (अगले बलात्कार की प्रतीक्षा) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

सच कहा... ऐसे कापुरुषों को सरेआम फांसी दी जानी चाहिए.

Onkar ने कहा…

बहुत प्रभावशाली रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात कहती और सार्थक प्रश्न उठाती रचना

bkaskar bhumi ने कहा…

रजनी जी नमस्कार
पूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लाग 'चांदनी रातÓ की कविता 'नारी सिर्फ एक मादा देह नहींÓ को भास्कर भूमि में प्रकाशित किया गया है। इस लेख को आप भास्कर भूमि के ई पेपर में ब्लॉगरी पेज नं. 8 में देख सकते है। हमारा वेब साइट है। www.bhaskarbhumi.com
सधन्यवाद
नीति श्रीवास्तव

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ki main dil se aabhari hun.....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सटीक,उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...