शुक्रवार, मार्च 16, 2012
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डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 16.3.12
8 comments:
बेहतरीन
सादर
सुंदर,बहुत अच्छी गजल ..रजनी जी,..बधाई
MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बढ़िया है जी ||
वाह वाह वाह, गजब तेवर हैं आज तो………।
Yashvant ji bahut-bahut shukriya.......
dhirendra ji.........hardik shukriya...
Ravikar ji ........bahut-bahut shukriya..........
Lalit ji sahi kaha tabiyat hai na badalti rahti hai..........
अच्छी प्रस्तुति !!
गम के मारो को कही जगह नहीं मिलती ..सच कहा --इसीलिए कहते हैं --खुश रहो !
अच्छी कविता
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