रविवार, मई 22, 2011

मेरे प्रियतम


जिसे देखूं पल ,पल ख्वाबों में,
जिसे सोंचे मन ख्यालों में,
कोई और नहीं ,वो हो तुम.
मेरे प्रियतम ,प्रियतम, प्रियतम.

अश्कों के नीर बहायें हम,
नैनो के दीप जलाएं हम.
पथ आलोकित करने को तेरा,
 सलभ सा जलते हैं हम.

जिस लम्हा तुमको पाते हैं,
हम कितना ही हरसाते  हैं.
मन के कोमल बागों में,
कितने ही सुमन मुस्काते हैं.

सूखे अधरों की प्यास हो तुम,
मेरे जीने की आस हो तुम.
जिस मंजिल की मै राही हूँ,
वो मंजिल वही तलाश हो तुम.

जिसे देखूं पल ,पल ख्वाबों में,
जिसे सोंचे मन ख्यालों में,
कोई और नहीं ,वो हो तुम.
मेरे प्रियतम ,प्रियतम, प्रियतम.

भर गया अंक तरंगों से,
प्रफुलित है मन उमंगों से.
आरम्भ हुआ है दिवस मेरा,
तेरे प्रेम के नव रंगों से.

रंजों का तिमिर भगाया है,
उल्लास को मन में जगाया है.
मै काया हूँ,तू काया की साया है.

जिसे देखूं पल ,पल ख्वाबों में,
जिसे सोंचे मन ख्यालों में,
कोई और नहीं ,वो हो तुम.
मेरे प्रियतम ,प्रियतम, प्रियतम.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"