चंचलता की मै मूरत हूँ,
लोग कहते हैं , मै खूबसूरत हूँ.
बोलो कौन हूँ मै ?
ख़ुशी हूँ मै.
जिसके ज़िन्दगी में ,
वो तो मालामाल है,
जिसके ज़िन्दगी से बाहर,
वो तो कंगाल है.
हर कोई चाहता है,
मेरा ज़िन्दगी में साथ.
तीखी जीवन में मैं मिठास हूँ,
सूखे अधरों की मै प्यास हूँ.
आसां नहीं,
हर ज़िन्दगी में मेरा आना,
क्योंकि,
ख़ुशी चीज़ ही है ,
मुश्किल से मिल पाना.
हर कोई जीवन में ,
मेरी तमन्ना रखता है,
भर जाये सागर जीवन में,
ऐसी चाहत रखता है.
कोई तो मुझे पाकर,
सागर सा ज़िन्दगी जीता है,
जहाँ मै नही,
वो बूंद बूंद को रोता है,
मुझसे ही पूरी है ,
जीवन की कहानी,
बस जाऊं मै जहाँ,
ना आये आँखों में ,
गम की पानी.
हर आँख की चाहत है ,
बस मेरे आंसू भरना.
चंचलता की मै मूरत हूँ,
लोग कहते हैं , मै खूबसूरत हूँ.
बोलो कौन हूँ मै ?
ख़ुशी हूँ मै.
" रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
सोमवार, जनवरी 17, 2011
ख़ुशी हूँ मै.
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 17.1.11 13 comments
Labels: Poems
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