हर तरफ अब तो आतंकी शोर है,
निशाने पर दिल्ली, मुम्बई, कभी बंगलोर है.
काला चश्मा, तेल कान में डाले सरकारे आला बैठिये,
जब हो जाएँ हादसे कहते हैं कैसे आ गए घुसपैठिये.
भोली जनता होती रही आतंकी शिकार है ,
बिन चाभी के ताला सा लोकतंत्र बेकार है.
राह चलना मुश्किल अब तो हथेलियों में जान है,
अंधी बहरी व्यवस्था पर जनता कुर्बान है.
समय समय ये खून खराबा बदला हुआ परिवेश है
हो जाओ खुद ही तैयार खतरे में देश है .
निशाने पर दिल्ली, मुम्बई, कभी बंगलोर है.
काला चश्मा, तेल कान में डाले सरकारे आला बैठिये,
जब हो जाएँ हादसे कहते हैं कैसे आ गए घुसपैठिये.
भोली जनता होती रही आतंकी शिकार है ,
बिन चाभी के ताला सा लोकतंत्र बेकार है.
राह चलना मुश्किल अब तो हथेलियों में जान है,
अंधी बहरी व्यवस्था पर जनता कुर्बान है.
समय समय ये खून खराबा बदला हुआ परिवेश है
हो जाओ खुद ही तैयार खतरे में देश है .
27 comments:
सामयिक और सटीक रचना है.
क्या ग़जब की रचना...बिल्कुल आज के परिवेश को पानी पिलाती...बधाई और आभार
आज के परिवेश को उकेरती बहुत सटीक प्रस्तुति..
सत्य को ऊजागर करती आपकी अभिव्यक्ति मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गयी । आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है । धन्यवाद ।
बहुत सही कहा आपने, हो जाओ खुद तैयार खतरे में देश है। इन सब के लिए अब हमें ही तैयार होना पड़ेगा।
सामयिक और सटीक रचना
बहुत सार्थक रचना | मेरे ब्लॉग में भी आयें |
मेरी कवितारे ब्लॉग में भी आयें |
मेरी कविता
बहुत सार्थक रचना | मेरे ब्लॉग में भी आयें |
मेरी कवितारे ब्लॉग में भी आयें |
मेरी कविता
आप सभी सुधि जनों को यहाँ तक आने के लिए मेरा आभार, ऐसी घटनाएँ जो घट रही उनसे सम्बंधित रचनाएँ सभी तक पहुंचे यही हमसभी का उदेश्य है . पर मेरे साथ एक परेशानी है जब भी बारिश होती है मेरा नेट काम ही नहीं करता जिस कारण मै शनिवार रात से कल तक वंचित रही किसी भी पोस्ट तक आने के लिए....माफ़ी चाहती हूँ
कुशुमेश जी ,.. आभार ऐसे प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए...
संजय भाई आपको भी शुक्रिया ....
कैलाश जी बहुत बहुत आभार आप सभी के बोल प्रेरणा तुल्य हैं....
प्रेम जी ......आभार यूँ सराहने के लिए.......
मनोज जी आभारी हूँ , यूँ ही प्रोत्साहन मिलता रहे .
डॉ. शास्त्री जी आपका मागदर्शन मिलता रहे यूँ ही प्रोत्साहन से ...
वंदना जी ....आपका आना सुखद लगा स्नेह मिलता रहे....
प्रदीप जी आभार समय देने के लिए .......
सुन्दर कविता रजनी जी बधाई और शुभकामनायें
सुन्दर कविता रजनी जी बधाई और शुभकामनायें
सुन्दर कविता रजनी जी बधाई और शुभकामनायें
आप इतना अच्छा लिखती हैं और मेरी नज़रों से दूर रहीं अब तक! यह मेरा दुर्भाग्य था।
सामायिक रचना है यह आपकी. झाड़खंड से एक और ब्लॉगर से परिचित हो अच्छा लगा.
संवेदनशील रचना ...
आज के माहोल का सही सटीक चित्रण किया है आपने इस गज़ल में ... कडुवा सच है ये ..
हिंदी दिवस की शुभकामनायें
जागरूकता व सामयिक चिंतन से पूर्ण एक अच्छी रचना
bahut bahut sukriya aap sabhi ko
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