लोग कहते हैं मुझे,
बिन पिए ही झूमते हो,
क्या बताऊ ,
उनकी आँखों में ,
नशा ही,
सौ बोतल का है
ये नशा ,
शराब का नहीं,
उनकी आँखों का है.
सोमवार, जुलाई 26, 2010
ये नशा , शराब का नहीं, उनकी आँखों का है.
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 26.7.10 8 comments
Labels: Poems
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