मंगलवार, जुलाई 20, 2010

बादलों की , आगोश में जाकर, चाँद और निखर गया,

"बादलों की ,
आगोश में जाकर,
चाँद और निखर गया,
मिली जब ,
चांदनी उससे ,
बहुत उलझन में,
पड़ गयी ."
"rajni "

हर कोई , बन जायेगा , समंदर यहाँ "

" निगाहें ,
दरिया नहीं बन पायेगी,
जब ,
हर कोई ,
बन जायेगा ,
समंदर यहाँ "