शनिवार, जनवरी 16, 2010

वक़्त की आंधी ने हमें रेत बना दिया

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वक़्त   की   आंधी   ने   हमें  रेत   बना  दिया,
हम   भी     कभी    चट्टान   हुआ     करते  थे |

मौसम   के   रुख   ने  हमें   मोम   बना   दिया,
हम भी   कभी   धधकती  आग   हुआ  करते थे|

आज   हिम    सा शून्य   नज़र  आ रहे   हैं  हम,
हम   भी    कभी   रवि   से तेज़ हुआ   करते  थे|

एक     झंझावत से   गिरे पंखुडियां , शूल  रह गए
हम भी कभी गुलाबों से भरे गुलशन हुआ  करते थे|

विवशता    ने हमें   सिन्धु   सा   बना   दिया है शांत,
हम भी कभी मदमस्त उफनती सरिता हुआ करते थे|.

वो   अपने     ही     थके      क़दमों    के   निशां   हैं,
जो   कभी    हिरणों    सी  चौकड़ियाँ   भरा करते थे.|

वक़्त   की     आंधी    ने     हमें     रेत   बना   दिया,
हम    भी        कभी    चट्टान    हुआ     करते      थे|