मंगलवार, दिसंबर 14, 2010

रहकर जिगर में कर देते हैं चाक चाक

रहकर जिगर में कर देते हैं चाक चाक,
जिनपर जिगर ये निसार होता है.

वो छोड़ जाता है हर हाल में साथ,
जो सीरत से ही फरेबी फनकार होता है. 

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

9 comments:

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय रजनी जी
नमस्कार
.......दिल को छू लेने वाली शानदार प्रस्तुति

गोपाल ने कहा…

वाह वाह वाह!!!! निःशब्द !!
मै कुछ भी कहूँ तो सूर्य को दीपक दिखने वाली बात चरितार्थ हो जाएगी |
तालियों के साथ वंदन ...अभिनन्दन .........
हर हर महादेव

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

रजनी जी , बहुत ही हृदयस्पर्शी नज़्म. ....अच्छी प्रस्तुति .
.
मेरे ब्लॉग पर " हम सबके नाम एक शहीद की कविता "

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

रजनी जी कभी कभी प्रेमरस में भीगी कविता भी लिख
दिया करें । ये विरहा भी ज्यादा अच्छा नहीं लगता ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khubsurat najm ke liiye bahut bahut saadhuwaad............aap please barabar aaya karo........apne post ke saath:)

seekhne ko milta hi....

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko mera hardik naman ........

Rajeev ji bahut 2 sukriya is baar premras par likhne ki koshish rahegi .........
mukesh ji mai kuchh dino tak orkut par nahi thi. isiliye post nahi kar payi par ab se lagatar karungi post.........

amar jeet ने कहा…

वाह रजनी जी चंद लाइनों में बहुत सारी बाते आपने कह दी........

amrendra "amar" ने कहा…

Rajni Ji Dil ko chu Gayi aapki behtreen Najm

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

hardik aabhar aapsabhi ko ..........