मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010

जब , खुशियाँ आती है, तो सौ रंग चढ़ जाते हैं

बहुत ही उत्कंठित होकर
स्वागत किया था
मैंने |
दर्द के पहले क़दम  का
ख़ुशियों  के रूप में,
जब पहली दस्तक
दिया था उसने
तुम्हारे रूप में |
मेरे  जीवन में ,
प्रवेश हुआ
जब धीरे धीरे वो 
मेरे अंतर्मन में ,
अपना
आधिपत्य जमाने  लगा |
जब  यक़ीन  हो गया उसे
मेरे रग रग में वो
समा चुका है,
फिर धीरे से उसने
अपना रंग दिखा दिया
क्योंकि जब ,
खुशियाँ आती है
 सौ रंग चढ़ जाते हैं |
पर जाती है तो
दे जाती है ,बस
विरानियाँ ,बेचैनियाँ
और ,
जीवन भर के लिए
एक ख़ालीपन|
जिसके भराव के लिए
कुछ भी ,
पूरा नहीं मिलता | 

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

5 comments:

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

yehi to jindagi ki reet hai.......kbhi khushi kabhi gum

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

yahin to jindagi ka saar hai, rajni jee...jisko bade pyare dhang se aapne chitrit kiya.........badhai !!

Khare A ने कहा…

बहुत ही उत्कंठित होकर,
स्वागत किया था,
मैंने,
दर्द के पहले कदम का ,
खुशियों के रूप में ,
जब पहली दस्तक ,
दिया था उसने
तुम्हारे रूप में ,

aapki ye panktiyan padhkar hansu ya royun,

kmmal ki rachna

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aabhar aap sabhi ko ...........
aalok ji jab insan nahi samjh pata ki uske aage badhte kadam samne dard se milwayenge ka khushiyon se ....to uski manobhav yun hi aate hain jo mere rachna me mere bhav aaye hain.......

संजय भास्‍कर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.