"एक जन्म भी नहीं निभा पाते लोग वफादारी के साथ,
यूँ ही सात जन्मों के बंधन का सौदा कर लेते हैं.
राहें जुदा सही ,मंजिल साथ मिले ना मिले ,
ज़िन्दगी के सफ़र के सिलसिले तय कर लेते हैं ."
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
शुक्रवार, अक्तूबर 29, 2010
ज़िन्दगी के सफ़र के सिलसिले तय कर लेते हैं
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12 comments:
रजनी जी , बहुत सही बात कही आपने । सुन्दर नज्म ...
behad khoobsurat panktiyan rajni ji
dil ko chhu gayi..
badhai
sahi kaha aapne.... lekin yahi to aaj ki jindagi hai....
hardik aabhar aap sabhi ko ...........
रजनी जी,
बहुत सही बात कही आपने,
कई बार भ्रम भी जीने का सहारा होता है
wah
मनमोहक रचना ....
आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
hardik aabhar aapsabhi ko ........
चाँद लाइनों में बहुत गहरी बात कही आपने !
hardik aabhar ............
बहुत बढ़िया लगी यह रचना
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