मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010

जानते हैं हम तन्हा हो जायेंगे

हाथ रख कर वो दुखते  रगों में मेरी,
बातों के तीर जिगर में चुभा देते हैं,
जानते हैं हम तन्हा हो जायेंगे,
क्यों गिन कर रुखसती के दिन बता देते हैं.

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

3 comments:

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह .....रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aabhar bhai ko ........

आशुतोष की कलम ने कहा…

Mae to aapko orkut community mae hi padhta tha...aacha blog haii...


@sinner

ashu2aug.blogspot.com