रविवार, जुलाई 25, 2010

बस अब एक, दूरी रह गयी , ख्वाब और, पलकों के दरमियाँ ."

" आज भी वो ख्वाब है,
मेरे पलकों पर,
जो मुद्दत पहले ,
कभी देखा था,
पूरी ना हुई,
बस अब एक,
दूरी रह गयी ,
ख्वाब और,
पलकों के दरमियाँ ."

3 comments:

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह .....रजनी नैय्यर जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

sanjay ji sukriya

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sanjay jee, hame bahut pahle se pata hai, Rajni jee ke kalam me jaadu hai..........isliye bina kahe, koshish karta hoon, har kuchh padhun........fan hoon inka!!