आज मजदूर दिवस पर एक रचना मजदूर की मज़बूरी पर ...........
आज दिल का दर्द घोल रहा हूँ,
मज़दूर हूँ अपनी मजबूरी बोल रहा हूँ |
ग़रीबी मेरा पीछा नहीं छोड़ती,
क़र्ज़ को कांधे पर लादे डोळ रहा हूँ |
पसीने से तर -ब -तर बीत रहा है दिन,
रात, पेट भरने को नमक- पानी घोल रहा हूँ |
बुनियाद रखता हूँ सपनों का हर बार,
टूटे सपनों के ज़ख्म तौल रहा हूँ |
मज़दूरी का बोनस बस सपना है,
सपनों से ही सारे अरमान मोल रहा हूँ|
आज दिल का दर्द घोल रहा हूँ
मज़दूर हूँ अपनी मजबूरी बोल रहा हूँ |
"रजनी"
आज दिल का दर्द घोल रहा हूँ,
मज़दूर हूँ अपनी मजबूरी बोल रहा हूँ |
ग़रीबी मेरा पीछा नहीं छोड़ती,
क़र्ज़ को कांधे पर लादे डोळ रहा हूँ |
पसीने से तर -ब -तर बीत रहा है दिन,
रात, पेट भरने को नमक- पानी घोल रहा हूँ |
आज दिल का दर्द घोल रहा हूँ,
मज़दूर हूँ अपनी मजबूरी बोल रहा हूँ | बुनियाद रखता हूँ सपनों का हर बार,
टूटे सपनों के ज़ख्म तौल रहा हूँ |
मज़दूरी का बोनस बस सपना है,
सपनों से ही सारे अरमान मोल रहा हूँ|
आज दिल का दर्द घोल रहा हूँ
मज़दूर हूँ अपनी मजबूरी बोल रहा हूँ |
"रजनी"
8 comments:
atyant marmik...bahut khoob...
Is Dharti Ki Sachchaai !
Atyant Khoobsoorat !
Dhanyawaad !
BAHTRIN MAJDUR KI AATMA KI AAWAJ HE YE
BADHAI AAP KO IS KE LIYE
dilip ji hardik naman..........
prasun sprem sneh........
shekhar ji hardik naman........
bahut khub
achi rachna
badhai aap ko is ke liye
http://kavyakalash.blogspot.com/
बहुत उम्दा ख्यालात...यथार्थ चित्रण.
I liked it, its good
shekhar ji ek baar fir aapka hardik sukriya..
udan sir sarahna ke liye hardik dhanyabaad........
drshaiendra ji aapka bhi hardik sukriya.....
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