शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2010

तुमसे टूटना मेरी क़िस्मत है

 तुझे  जितनी  मुझसे  नफरत  है,
 तेरी  उतनी  ही मुझे ज़रूरत   है.

 तेरे   मद   भरे    यह   दो    नैन ,
 क्या बताऊँ  कितनी  खुबसूरत हैं.

परवाने     की   फ़िक्र     मत   कर ,
आग  में जलना  इसकी फितरत है.

 जब    आँखों   में  पर्दा   पड़ा   हो  ,
ख़ूबसूरती  भी लगता  बदसूरत  हैं.

जो  ख़्वाब    बुनते   हैं    लगन  से,
वो टूट कर   भी रहता  खुबसूरत है .

जानती  हूँ कोई    तोड़  नहीं पायेगा,
फिर भी तुमसे टूटना मेरी क़िस्मत  है.

बंध  कर   और   नहीं  रहा जायेगा,
अब  टूट कर   बिखरने की चाहत है.

 तुझे   जितनी     मुझसे   नफरत है,
 तेरी    उतनी    ही  मुझे  ज़रूरत  है|

2 comments:

RAMKRISH ने कहा…

Har IK Rachna Noor Ki tarah roshan hai;
Dil me yun utar jaati hai Jaise dhadkan Keh rahi hai...
Bahut bahut khub Likha hai aapne,. Plz give me an oppurtunity to speak to you once..RK
I shall feel honored

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

sukriya aapka aapsabka sneh hai jo likh sakne me sakhsm hun..........