मैं तुझे बरसने का आधार नहीं दे पाऊँगी,
चाहते हो जो खुशियों का संसार,
तुम्हें वो खुशियों का संसार नहीं दे पाऊँगी,
मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,
ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,
पता है तेरे जिगर में मेरे लिए ,
अगाध छिपा अनुराग है,
पर मै तेरे अनुरोध को स्वीकार नहीं पाऊँगी,
क्योंकि मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,
ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,
मै वो दीया हूँ जो जलती तो हूँ ,
पर तुम्हे रौशनी नही दे पाऊँगी,
मत कर खुद को बेकरार इतना,
तुझको मै करार नही दे पाऊँगी,
मै वो सरिता हूँ जो भरी तो हुई नीर से,
पर तेरे प्यास को बुझा नही पाऊँगी,
क्यों आंजना चाहते हो मुझे आँखों में ?
मै वो काजल हूँ,
जो आँखों को कजरारी कर,
शीतलता नही दे पाऊँगी,
मत कर खुद को बेकरार इतना,
तुझको मै करार नही दे पाऊँगी,
क्योंकि मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,
ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,
सुमन से भरी बाग़ हूँ मै,पर
तेरे संसार को सुगन्धित नहीं कर पाऊँगी,
क्यों लिखना चाहते हो मुझको गीतों में ?
मै वो शब्द का जाल हूँ जो,
गीतों का माल नही बन पाऊँगी,
ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,
चाहते हो जो खुशियों का संसार,
तुम्हें वो खुशियों का संसार नहीं दे पाऊँगी,
बुधवार, दिसंबर 09, 2009
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 0 comments
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काँटों से आँचल छुड़ाना सीख लिया मैंने,
काँटों से आँचल छुड़ाना,
सीख लिया मैंने,
कदम डगमगाते थे,
लड़खड़ाते कदम ,
आसानी से,
आगे बढ़ाना,
सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी,
अब तो ,
हँस कर चलने लगे हैं,
वक़्त के साथ खुद को,
आजमाना ,
सीख लिया मैंने,
बात बात पर,
सागर छलकाने वाले,
कैसे,बन जाते हैं,
पत्थर,सीख लिया मैंने,
कड़वे बोल भी ,बन जाते हैं ग़ज़ल,
गजल बनाना सीख लिया मैंने,
अग्न में खुद को मोम सा ,
जलाना सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी,
अब तो ,
हँस कर चलने लगे हैं,
सागर के तेज़ धारे से,
कस्ती बचाना,
सीख लिया मैंने,
मौन रह कर भी सबकुछ ,
कह जाना सीख लिया मैंने,
गम के सागर में भी रहकर,
मुस्कुराना सीख लिया मैंने,
तन्हा चलने लगे हैं,
कदम संभलने लगे हैं,
पथरीली राहों पर भी ,
अब तो,
हँसकर चलने लगे हैं.
"रजनी "
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 0 comments
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फिर खामोश हैं ये निगाहें
फिर खामोश हैं ये निगाहें,
ये दिल फिर बेकरार है,
जो रहते हैं हर पल दिल में,
फिर क्यों उनका इंतजार है |
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 0 comments
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सिवा तेरे दिल ने मेरे दूसरे को अपनाया नहीं|
जामे इश्क तुने ,
कभी पिलाया नहीं,
किसी पैमाने और को,
हमने उठाया नहीं,
यूँ तो मिले थे ,
तुमसे भी बढ़कर
कई और,
सिवा तेरे,
दिल ने मेरे,
दूसरे को अपनाया नहीं.
"rjni"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 5 comments
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ये तो मेरी अदा है, दिल की दर्द छुपाने की
हम हंसते हैं तो उन्हें लगता है ,
हमें आदत है मुस्कुराने की,
नादाँ इतना भी नहीं समझ पाते,
ये तो मेरी अदा है,
दिल की दर्द छुपाने की|
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 7 comments
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अपना सबकुछ लगाये बैठे हैं दाव पर
बिन खेले ही,
जीत कर ,
ले गए वो,
हमसे,
मुहब्बत,
की बाज़ी,
अब तक ,
हम ,
लगाये बैठे हैं,अपना ,
सब कुछ ,
दांव पर.
"रजनी"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 9.12.09 2 comments
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