बुधवार, दिसंबर 09, 2009

मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी

मैं तुझे बरसने का आधार नहीं दे पाऊँगी,

चाहते हो जो खुशियों का संसार,
तुम्हें वो खुशियों का संसार नहीं दे पाऊँगी,

मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,

ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,

पता है तेरे जिगर में मेरे लिए ,
अगाध छिपा अनुराग है,
पर मै तेरे अनुरोध को स्वीकार नहीं पाऊँगी,

क्योंकि मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,
ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,

 मै वो दीया हूँ जो जलती तो हूँ ,
पर तुम्हे रौशनी नही दे पाऊँगी,

मत कर खुद को बेकरार इतना,
तुझको मै करार नही दे पाऊँगी,

मै वो सरिता हूँ जो भरी तो हुई नीर से,
पर तेरे प्यास को बुझा नही पाऊँगी,

क्यों आंजना चाहते हो मुझे आँखों में ?
मै वो काजल हूँ,
जो आँखों को कजरारी कर,
शीतलता नही दे पाऊँगी,

मत कर खुद को बेकरार इतना,
तुझको मै करार नही दे पाऊँगी,

क्योंकि मै वो धरा नही जो बेसब्री से ,
करे बादल का इंतजार,

ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,

सुमन से भरी बाग़ हूँ मै,पर
तेरे संसार को सुगन्धित नहीं कर पाऊँगी,

क्यों लिखना चाहते हो मुझको गीतों में ?
मै वो शब्द का जाल हूँ जो,
गीतों का माल नही बन पाऊँगी,

ये बावले बादल कहीं और बरस,
मै तुझे बरसने का आधार नही दे पाऊँगी,

चाहते हो जो खुशियों का संसार,
तुम्हें वो खुशियों का संसार नहीं दे पाऊँगी,