रविवार, मार्च 12, 2017

राधिका रंग गयी श्याम के रंग में
तुम भी रंग जाओ ऐसे मेरे रंग में

मैं    तेरे    रंग   में तू   मेरे  रंग   में
दोनों  खो  जाएँ  हम  मदभरे रंग में

क्या रखा लाल पीले  हरे  रंग  में
आओ  रंग  दें  तुम्हें इश्क़ के रंग में


चढ़ गया है नशा सबपे फागुन का
हर   कोई  झूमता   है नए रंग   में


पीत पट का  वसन और अधर लाल है
साँवरे  जँच रहे  हैं  साँवले  रंग  में

है  लिबास अपना मौसम  बदलने लगा
अब धरा   दिख  रही   है  हरे  रंग में

कह  रहा   मुझसे   ये मेरा  मन बावरा
"रजनी" मैं  भी घूल जाऊँ केसर घुले रंग में

रजनी मल्होत्रा नैय्यर