बुधवार, सितंबर 16, 2015

गद्दारों से मिलकर वफ़ा कर रहा है

गद्दारों से मिलकर वफ़ा कर रहा है
कुछ  भी  नहीं  वो नया कर रहा है

मासूमियत  या  सयानेपन   से
नादानी अपनी  बयाँ कर रहा है

भटका हुआ सहाब   हो गया है 
नीलाम अपनी अना कर रहा है

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

3 comments:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
में की जाएगी
धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब लिखा है आपने!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

bahut -bahut aabhar Virk bhayi , sanjay bhai