रविवार, अगस्त 05, 2012

कलम के सिपाही उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जन्मदिवस पर




कल कलम के सिपाही उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जन्मदिवस पर बोकारो के नावाडीह ग्राम के आदर्श ग्राम विकास सेवा समिति की ओर से मुझे भी निमंत्रण मिला नावाडीह आने के लिए | नावाडीह पहले से ही उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के रूप में आम
लोगों मन में बसा है , बात काव्यगोष्ठी की थी और उस पर एक चुनौती उग्रवाद क्षेत्र | किसी ने कहा मुझे मत जाईये वहां , खतरा कब आ जाये , और वैसे भी जगह बिलकुल जंगल से भरा है और ग्रामीण इलाका है , पर, मेरी जाने की इच्छा को देखते हुए पति और स्वसुर जी ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी| देवर के साथ मैं बाइक पर ही निकली, कभी पक्की सड़क ,कभी पगडंडियों के रास्ते जंगलों का विहार करते हमलोग कई गांवों ( पिलपिलो, सरुबेड़ा, पलामू ) से गुजरते हुए , आखिर नावाडीह पहुँच गए , ये मेरा पहला अनुभव था ऐसे किसी ग्रामीण क्षेत्र में काव्यगोष्ठी के लिए जाना , और एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर उग्रवाद क्षेत्र में जाना , पर वहां जाकर सबकुछ सामान्य लगा ,सभी आम इन्सान हमसभी के जैसे ही अपने-अपने कार्यों में थे | आदर्श ग्राम विकास सेवा समिति की और से एक ये काव्यगोष्ठी प्रेमचंद जी को सम्मान देने के लिए रखा गया था| मेरे साथ अन्य लोग भी मौजूद थे जिनमें श्यामल बिहारी महतो जी कथाकार ,जो तारमी कोलियरी के कार्मिक विभाग कार्यालय सहायक के पद पर कार्यरत है, इनकी पुस्तक कहानी संग्रह "बहेलियों के बीच" व् लतखोर प्रकाशित हो चुकी है , जलेश्वर रंगीला जी कवि व् पत्रकार जिन्होंने अपनी २ कविता सरकार और समाज पर सुनाई | कवि शिरोमणि महतो जी जिनकी " काव्य संग्रह "कभी अकेले नहीं आ चुकी है , इन्होने भी अपने विचार प्रेमचंद जी से सम्बंधित रखे |
वासु बिहारी जी खोरठा के प्रतिष्ठित कवि जिनकी काव्यपाठ आकाशवाणी व् दूरदर्शन में हो चुकी है | नेता पर इनके शब्द्वान निशाना लगाते रहे | हिंदी और मैथिली के विख्यात कवि हरिश्चंद्र रज़क जिन्होंने नारी के सम्मान में अपनी एक कविता पढ़ी "कौन कहता है नारी अनाड़ी है ,जबकि ये देश की खिंच रही गाड़ी है, समाजसेवी व् उभरते कवि सुमन कुमार सुमन के साथ वासुदेव तुरी ने अपनी रचना पढ़ी | सेवा समिति के सचिव वासुदेव शर्मा , व् कोषाध्यक्ष प्रेमचंद महतो ने समापन व् धन्यवाद विचार रखा | सभी के उपस्थिति में ये गोष्ठी हुई .मुझे बताते हुए अति हर्ष का अनुभव हो रहा , जहाँ जाने के नाम पर लोगों के कयास ने मुझे अन्दर से डरा कर रख दिया था वहां श्यामल बिहारी महतो जी, वासु बिहारी जी , और मुझे सम्मान के साथ मुख्य अतिथि के पद पर आसीन किया गया | गोष्ठी का मुख्य मुद्दा रहा उपन्यास सम्राट से सम्बंधित अपने अपने विचारों का प्रस्तुतिकरण और साथ ही अपनी किसी भी विधा में कविता पाठ , हल्की- हल्की बारिश में ही ये गोष्ठी करीब ४ घंटे तक शांति रूप से चली और सांयकाल के 5 बजते तक समाप्त हो गयी | जिस डर से मैं बेफिक्र निकली थी घर से, उसी निर्भयता के साथ वापस अपने घर भी आई |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
बोकारो थर्मल