"माँ की आँचल में सारा आसमां समा जायें ,ऐसी विशाल हृदय व् कोमल भावन होती है माँ,
इनके आशीष से विपदा छू ना पाए, हर शय से बड़ी दुनिया में होती है माँ ,प्यारी माँ ."
इनके आशीष से विपदा छू ना पाए, हर शय से बड़ी दुनिया में होती है माँ ,प्यारी माँ ."
लारा मल्होत्रा नैय्यर (डॉ रजनी मल्होत्रा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 8.5.11 0 comments Links to this post
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