"मेरी चलती रूकती सांसों पर ऐतबार तो कर,
ये हँसता हुआ झील का कवल, मेरे बातों पर ऐतबार तो कर,
तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह ,
बस एक बार मुस्कुरा के दीदार तो कर . "
ये हँसता हुआ झील का कवल, मेरे बातों पर ऐतबार तो कर,
तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह ,
बस एक बार मुस्कुरा के दीदार तो कर . "
9 comments:
कर लिया जी ऐतबार भी, मुस्करा भी दिये अगर आपने देखा हो तो,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ....
वाह !
क्या बात है.....
सादर...
बहुत खूब्।
मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धक टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
बहुत सुन्दर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
आपका बात प्रस्तुत करने का ढंग निराला है जी.
पढकर प्रसन्नता मिली.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
उनका मुस्कुराना जैसे खिलया कँवल ... कुय कहने ...
मै परीक्षा के व्यस्तता के कारण ब्लॉग तथा घर दोनों से दूर थी ,अथ माफ़ी चाहूंगी ब्लॉग साथियों से और ब्लॉग से दूर रहने की आपसबके टिप्णियों की कोई जवाब भी नहीं दे पाने का खेद है.......
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