बुधवार, मई 04, 2011

कुछ रचा जाये ऐसा इतिहास

सिंदूरी  सपने   नैनों   में   लिए   खड़ी  बावरी मुस्काए,
क़तरा-क़तरा सागर सा, लिए स्नेह का गागर ठहरा हो.

जीवन   एक संग्राम    बना, ये जलता मंज़र थम जाये,
न   तोड़   सके    कोई भेद ,ऐसा   भाईचारा  गहरा हो.

न   द्वेष   रचे, ना ज़ुल्म बसे, हर   मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे   संसार,  सुमन सा जीवन खिल जाये.

न कांटे   चुभें विष   वाणों के,न     तकरार  जगह पाए,
गर   आना हो   बन कर दस्तक, तो खुशहाली ही आये,

जो  चैन अमन   हम  खो बैठे ,वो वापस अपने घर आये,
कुछ रचा  जाये ऐसा इतिहास .जिसे विश्व  फिर दुहराए.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

10 comments:

Rakesh Kumar ने कहा…

ना द्वेष रचे ना जुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार,सुमन सा जीवन खिल जाये.

रजनीजी बहुत सुन्दर और पवित्र भावनाएं हैं आपकी. काश! आपकी भावनाएं फलीभूत हों और
सर्वत्र 'खुशहाली ही आये'
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

Roshi ने कहा…

kash sab kuch suman sa khil jaye'''''''
sunder ati sunder

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय रजनी जी
नमस्कार !
जो चैन अमन हम खो बैठे ,वो वापस अपने घर आये,
कुछ रचा जाये ऐसा इतिहास .जिसे विश्व फिर दुहराए.
बहुत सुन्दर
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

मदन शर्मा ने कहा…

ना द्वेष रचे ना जुल्म बसे, हर मन गंगा हो जाये,
सुरभित हो ऐसे संसार,सुमन सा जीवन खिल जाये.
रजनी मल्होत्रा जी नमस्कार!
बहुत सुन्दर और पवित्र भावनाएं हैं आपकी.
बहुत सुंदर .... सच्ची और अच्छी अभिव्यक्ति.... बेहतरीन

Kunwar Kusumesh ने कहा…

अच्छी कामनाएं,प्रेरक रचना..

मनोज कुमार ने कहा…

सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत एक अच्छी रचना।

विशाल ने कहा…

बहुत ही खूब लिखा है आपने

गर आना हो बन कर दस्तक, तो खुशहाली ही आये.

आमीन.

Khare A ने कहा…

khoobsurat bhav hain rachna ke,
sansar ko jodne ki koshish

badhai

mridula pradhan ने कहा…

bahut achchi bhwna.....

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko is sneh ke liye mera hardik aabhar ..............

rakesh ji.........
roshi ji.........
sanjay ji .......
madan ji.......

kushumesh ji....ramesh ji ,....
manoj ji.......

khare ji........
vishal ji.......
mridula ji.....

ssneh aabhar ...