बुझने लगते हैं दीये हौसलों के,
जब बुरे वक़्त की आंधी चलती है |
डगमगाते हैं हम राहों में जीवन के,
बुद्धि नाकाम हो हाथ मलती है |
जो ना हारें नाकामी से डर के,
तक़दीर सदा संग उनके चलती है |
चीर जाते हैं जो सीना लहरों के,
उनसे दुनिया मिलने में जलती है |
क्यों कमजोर हों आगे वक़्त के,
ज़िन्दगी ऐसे ही करवटे बदलती है|
बुझने लगते हैं दीये हौसलों के,
जब बुरे वक़्त की आंधी चलती है|
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
जब बुरे वक़्त की आंधी चलती है |
डगमगाते हैं हम राहों में जीवन के,
बुद्धि नाकाम हो हाथ मलती है |
जो ना हारें नाकामी से डर के,
तक़दीर सदा संग उनके चलती है |
चीर जाते हैं जो सीना लहरों के,
उनसे दुनिया मिलने में जलती है |
क्यों कमजोर हों आगे वक़्त के,
ज़िन्दगी ऐसे ही करवटे बदलती है|
बुझने लगते हैं दीये हौसलों के,
जब बुरे वक़्त की आंधी चलती है|
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "