"बारिश का मौसम,
सा जीवन,
भीगी जमीन सी ,
इसकी राहें,
सावन सा पंकिला ,
मुश्किल, उलझन ,
जो ना संभले ,
इसकी राह में ,
उनके कदम ,
मंजिल से पहले ही,
लड़खड़ा कर,
फिसल जाते हैं. "
"rajni"
मंगलवार, जुलाई 13, 2010
बारिश का मौसम, सा जीवन,
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 13.7.10 5 comments
Labels: Poems
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